इस साल धनतेरस का पर्व 2 नवंबर यानि मंगलवार को मनाया जाने वाला है। आपको बता दें कि यह कार्तिक मास के 13वें दिन पड़ती है और इस दिन को ‘उदयव्यपिनी त्रयोदशी’ के नाम से भी पुकारते हैं। यह दीपावली से 2 दिन पहले मनाई जाती है। यह वह दिन है जब लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, और दिवाली का सामान खरीदते हैं और मिठाइयां बनाते हैं। आप सभी को बता दें कि धनतेरस के दिन सोना या रसोई का नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है। इसी के साथ दीपों का त्योहार दीपावली धनतेरस से ही शुरू होता है और भाई-दूज पर समाप्त होता है।
वहीं धार्मिक मान्यताओं को माने तो दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। वहीं हिंदू पौराणिक कथाओं में ‘धनत्रयोदशी’ को शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवता भगवान कुबेर के साथ, समुद्र के मंथन के दौरान समुद्र से निकली थीं। वहीं धनतेरस के दिन सोना या चांदी जैसी कीमती धातु खरीदना भी घर में देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के संकेत के रूप में शुभ मानते हैं।
धनतेरस 2021: मुहूर्त और पूजा का समय
त्रयोदशी तिथि शुरू- 02 नवंबर, 2021 11:31
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 03 नवंबर, 2021 09:02
सूर्योदय- 02नवंबर, 2021 06:36
सूर्यास्त- 02 नवंबर, 2021 05:44
धनतेरस की पूजा विधि- सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। अब गंगाजल छिड़ककर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान के सामने घी का दिया जलाएं। अब धूप और अगरबत्ती लगाएं। इसके बाद भगवान को लाल रंग के फूल अर्पित करें। अब आपने जो भी धातु , ज्वेलरी या बर्तन खरीदें हैं उसे चौकी पर रखें। वहीं पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें। इसी के साथ धनवंतरि स्तोत्र का पाठ करें। लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।