मुंबई, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मुंबई की एक अदालत ने शुक्रवार को वारंट जारी कर दिया है। यह वारंट प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कई बार समन दिए जाने के बावजूद उसके सामने हाजिर न होने के कारण जारी किया गया है। भ्रष्टाचार के कई मामलों में देशमुख के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले सप्ताह मेट्रोपालिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर कर धन शोधन मामले में देशमुख के विरुद्ध आईपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई की मांग की थी। इस धारा के तहत लोकसेवक के आदेश का पालन न करने पर कार्रवाई होती है। जिसमें एक माह तक साधारण कारावास या 500 रुपये जुर्माना या एक साथ दोनों की सजा भी सुनाई जा सकती है।

ईडी की इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मैजिस्ट्रेट आरएम नेर्लिकर ने अनिल देशमुख के विरुद्ध धारा 174 के तहत वारंट जारी किया है। इसी मामले में अनिल देशमुख के दो सहयोगी संजीव पलांडे व कुंदन शिंदे पहले से न्यायिक हिरासत में हैं। इसी मामले में ईडी ने हाल ही में कोर्ट में पेश अपने आरोपपत्र में मुंबई पुलिस के बर्खास्त एपीआई सचिन वाझे को भी आरोपी बनाया है। सचिन वाझे भी पहले से ही अंटीलिया मामले व मनसुख हिरेन हत्याकांड में न्यायिक हिरासत में है। अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पुलिस अधिकारियों के जरिए हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करवाने का आरोप लगाया था। ईडी को इस मामले में अनिल देशमुख व उनके परिवार के विरुद्ध कई महत्त्वपूर्ण सबूत हाथ लग चुके हैं। जिसके आधार पर ही देशमुख व उनके दो सहयोगियों के विरुद्ध धन शोधन का मामला दर्ज किया गया है। देशमुख के दोनों सहयोगियों पलांडे व शिंदे को तो प्रारंभिक पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन अनिल देशमुख ईडी के सम्मन मिलने के बावजूद पूछताछ से कतराते आ रहे हैं।
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