पटना, वामपंथ के जरिए राजनीति में इंट्री करने वाले कन्हैया कुमार को अपने पाले में करने के बाद कांग्रेस भले ही गदगद महसूस कर रही है, लेकिन उनके प्रमुख सहयोगी दल राजद में शायद इसको लेकर सहज माहौल नहीं है। दरअसल कन्हैया के चेहरे और राजनीतिक गतिविधियों को लेकर राजद के अंदर पहले भी एक असमंजस जैसी स्थिति रही है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में एक बड़ा चेहरा होने के बावजूद राजद ने उन्हें कभी अधिक तरजीह नहीं दी। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र के एक बयान से यह बात और अधिक स्पष्ट हो रही है। राजद नेता शायद कन्हैया के कांग्रेस में आने को पचा नहीं पा रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा- मैं नहीं पहचानता कन्हैया को
दरअसल कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से पहले ही पत्रकारों ने एक सवाल राजद प्रवक्ता से पूछा था। उनसे पूछा गया था कि कन्हैया कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं, इस पर वे क्या कहना चाहेंगे। इस पर राजद नेता ने कहा वे किसी कन्हैया कुमार को नहीं जानते हैं। उन्हें नहीं पता है कि कन्हैया कुमार कौन हैं, कहां हैं और आगे कहां जा रहे हैं।
बिहार की राजनीति में और कोई धुरी नहीं चाहता है राजद
राजद को यह पसंद नहीं है कि बिहार की राजनीति में और कोई नई धुरी बने। बिहार की राजनीति फिलहाल भाजपा के साथ और भाजपा के विरोध के आधार पर चल रही है। इसमें भाजपा विरोधी खेमे का सबसे बड़ा घटक राजद है और पार्टी के नेता इस मुकाम पर काबिज रहना चाहते हैं। इसी तरह राजद चाहता है कि बिहार में भाजपा के विरोध का सबसे बड़ा चेहरा तेजस्वी यादव ही बने रहें। यही वजह है कि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को राजद ने हमेशा दरकिनार किया है। कांग्रेस भले भाजपा के विरोध वाली पार्टी हो, लेकिन इसमें व्यक्तिगत स्तर पर कोई बड़ा चेहरा फिलहाल बिहार में नहीं है।