गाजियाबाद में साहिबाबाद रेलवे स्टेशन के सामने स्थित नाले में 24 फरवरी को मिले लावारिस शव के मामले में नया मोड़ आया है। मृतक के भाई ने अपनी भाभी, उसके प्रेमी और मृतक के साले के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। मृतक के बच्चों ने परिजनों को बताया था कि मम्मी ने पापा को खाने में बेहोशी की दवा मिलाकर दी थी। उसके बाद चुन्नी से गला घोंटकर मामा और एक अन्य के साथ मिलकर पापा को मार दिया था। पुलिस को जब शव मिला था तो पुलिस ने महिला से भी उसकी शिनाख्त कराने का प्रयास किया था, लेकिन महिला ने शव पहचानने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने इसके बाद शव का अंतिम संस्कार लावारिस में किया था।
फैक्ट्री में मैकेनिक काम काम करने वाला अर्जुन यादव (32) पत्नी व तीन बच्चों के साथ किराये का मकान लेकर साहिबाबाद गांव में रहता था। 21 फरवरी को लापता होने के बाद उसकी पत्नी की तरफ से लिंक रोड थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। 24 फरवरी को साहिबाबाद रेलवे स्टेशन के सामने नाले में एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था। मृतक के हाथ और पैर चुन्नी से बंधे हुए थे। इसके बाद पुलिस ने अर्जुन यादव के परिजनों को बुलाकर शव की पहचान कराने का प्रयास किया। इस दौरान परिजनों ने वह शव अर्जुन का होने की बात से मना कर दिया था, जिसके बाद पुलिस ने लावारिस में शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।
पुलिस को दी गई शिकायत में अर्जुन के भाई लक्ष्मण यादव ने बताया कि भाई का पता नहीं चलने पर 11 मार्च को अर्जुन की पत्नी आशा तीन बच्चों को लेकर बलिया जिले के गांव टोला सिवान में चली गई थी। इसके बाद आशा बच्चों को छोड़कर अपने भाई रजनीश के साथ घर से चली गई। आरोप है घर पर बच्चों ने परिजनों को बताया कि खाने में बेहोशी की दवा मिलाकर मां ने पापा को दी थी। उसके बाद अपने भाई रजनीश और कथित प्रेमी बब्बू खान के साथ मिलकर हत्या कर दी थी। मामले में पुलिस ने तीनों के खिलाफ बुधवार को हत्या की रिपोर्ट दर्ज की है।
आरोप : बेहोश करने के बाद गला घोंटकर की हत्या
पुलिस को दी शिकायत में लक्ष्मण यादव ने बताया कि बच्चों ने बलिया स्थित घर पहुंचकर बताया कि 20 फरवरी की रात खाने में बेहोशी की दवा मिलाकर पत्नी आशा उसके प्रेमी बाबू खां व साले ने चुन्नी से गला घोंटकर अर्जुन की हत्या कर दी। इसके बाद शव को साहिबाबाद स्थित नाले में फेंककर फरार हो गए। दावा है कि शव मिलने के बाद पहचान के समय आशा ने बच्चों पर दबाव डाला था, जबकि शव पुराना होने के कारण कोई पहचान संभव नहीं हो पाई थी। लक्ष्मण ने बताया कि अर्जुन हत्या से महज दस दिन पहले उनके पास मकनपुर से कमरा बदलकर साहिबाबाद स्थित गांव में गया था।