आमतौर पर नेताओँ के बयान सियासी सरगर्मी बढ़ाते हैं, लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी की चोट चुनावी मुद्दा बन चुकी है। रोड शो के दौरान घायल हुई दीदी ने दर्द से कराहते हुए बीजेपी पर हमले का सीधा आरोप लगाया। चार दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली तो व्हील चेयर पर सवार होकर दोबारा जख्मी पैर-कंधे के साथ प्रचार-प्रसार में जुट गईं। टीएमसी की रणनीति अपनी नेत्री की चोट से सियासी माइलेज लेने की है। सहानूभूति को वोट में तब्दील करने की है।
भाजपा भी यह चाल बखूबी समझ रही है। केंद्र की सत्ता में बैठी इस पार्टी के कई नेता ममता की चोट को पॉलिटिकल स्टंट बताते आए हैं। कुछ तो उन्हें नौटंकी कहने से भी नहीं चूक रहे। इसी बीच केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने टीएमसी को एक सलाह दे दी। संघ के करीबी माने जाने वाले इस नेता की माने तो ममता को लगी चोट सिर्फ एक हादसा था, इसे राजनैतिक रंग नहीं देना चाहिए। चुनावी माहौल भी दूषित होता है। हालांकि इस सीनियर लीडर ने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण भी बताया।
समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘दोनों पार्टी जनता के कोर्ट में जा रही है। जनता के फैसले को स्वीकरना होगा। हम जनता से वोट देने की अपील कर रहे हैं, वो भी यही करते हैं। जनता सब समझती है, लेकिन अनर्गल आरोप की राजनीति से माहौल खराब होता है।’ नितिन गडकरी ने दावा किया कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और राज्य में भी अगर भाजपा की सरकार आती है तो यहां बहुमुखी विकास होगा। भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण क्लीयरेंस मिलता तो आज भी बना सकते थे, लेकिन दुर्भाग्यवश अड़चनें आती थीं।
कथित हमले को लेकर पर्यवेक्षकों और मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने रविवार को बैठक भी की। इसके बाद चुनाव आयोग ने ममता पर हमले की आशंका को खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमले के कोई सबूत नहीं हैं। यह एक हादसा था। चुनाव आयोग ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगी चोट एक हादसा है। निर्वाचन आयेग की ओर से पर्यवेक्षकों और मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की रिपोर्ट में हमले का जिक्र नहीं है, चोट की वजह भी नहीं बताई गई है। आयोग ने कहा कि यह हमला नहीं, एक हादसा था।