पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाली अस्मिता, बंगाली मान सम्मान और ‘बंगाल में बंगाली’ का दांव खेल रहीं हैं। चुनाव की तारीखों के घोषणा की संभावना देखकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने 15 दिन से बंगाल में पूरा जोर लगा रखा था। ऐसे करके ममता बनर्जी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा की हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद की रणनीति को छकाना चाहती हैं।
इसके समानांतर भाजपा ने अपनी रणनीति में आक्रमकता बढ़ा दी है। आठ चरणों में चुनाव को भी राजनीति के जानकार भाजपा के पक्ष में मान रहे हैं। शांतनु बनर्जी का कहना है कि बस देखते जाइए। भाजपा के नेता और गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति से पार पाना ममता के लिए मुश्किल होगा।
शांतनु कहते हैं कि आठ चरणों में चुनाव की घोषणा होने के बाद अब तृणमूल के कॉडर के डरने की बारी है। बताते हैं पांच राज्यों के संगठन मंत्री काफी समय से बंगाल में सक्रिय हैं। त्रिपुरा में भाजपा की जीत की गाथा तैयार करने वाले सुनील देवधर ने राज्य में पूरा फोकस कर रखा है। कैलाश विजयवर्गीय के मार्गदर्शन में राज्य में भाजपा ने कई मुद्दे खड़े कर दिए हैं। जय श्रीराम और दुर्गा पूजा को लेकर भाजपा ने जिस तरह से बंगाल में हिंदुत्व चेतना पैदा की है, इसका तृणमूल कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतना भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय भी मुख्य एजेंडा मानते हैं और उन्हें लग रहा है कि इस बार राज्य में सत्ता परिवर्तन होगा। कुल मिलाकर पार्टी की रणनीति पर फोकस करें, तो केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के सहारे भाजपा को बंगाल जीत लेने का पूरा भरोसा है।
भाजपा डाल-डाल चल रही है तो तृणमूल कांग्रेस की नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पात-पात चल रही हैं। ममता बनर्जी ने चार फ्रंट पर भाजपा का ‘हवाई’ टायर पंचर करने की योजना बनाई है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्र मानते हैं कि कभी ममता बनर्जी जयश्री राम के नारे के बाद घिरती नजर आ रही थीं। वह डिफेंसिव हो रही थीं, लेकिन भाजपा के नेताओं ने ही उन्हें इससे निकलने और बंगाली अस्मिता को आगे लाने में सहायता कर दी है।
डेरिक ओ ब्रायन की मानें तो यह बंगाल है। यहां सांप्रदायिकता, बंटवारे की राजनीति बहुत नहीं चलने वाली है। भाजपा को इसे गांठ बांध लेना चाहिए। तृणमूल के रणनीतिकारों पर नजर दौड़ाएं तो उन्होंने सबसे पहले भाजपा के हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के कार्ड को कुंद किया।
दिलीप घोष प. बंगाल के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जय श्रीराम के नारे से आंच झेल रही ममता को दुर्गा के अस्तित्व पर सवाल उठाकर अवसर दे दिया। ममता बनर्जी की ब्रिगेड ने बंगाल की अस्मिता से मां दुर्गा की पूजा को जोड़ते हुए इसे हवा देने में जरा भी देर नहीं लगाई। पूरे बंगाल में मां दुर्गा की पूजा होती है। दिलीप घोष ने अपने बयान में राम के एतिहासिक तथ्यों पर आधारित महत्व को बताया था। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि इसके समानांतर दुर्गा के अस्तित्व पर स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं है।
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी एक चूक हो गई। वह ‘पाथेर पंचाली’ के उपन्यासकार विभूति भूषण बंदोपाध्याय को याद करने में गलती कर बैठे। बांग्ला में उपन्यासकार को उपान्यासिक कहा जाता है। नड्डा ने यहां उपान्यासिक की बजाय औपनिवेशिक शब्द का इस्तेमाल कर दिया। औपनिवेशिक शब्द का अर्थ सही नहीं है। इसे डेरिक ओ ब्रायन, ब्रत्या बसु (सरकार में मंत्री, नाटककार) ने इस मुद्दे को खूब हवा दे दी है। पाथेर पंचाली से बंगाल कनेक्ट होता है।
खड़गपुर मेडिकल कालेज का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम की बजाय श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर किया जाना भी तृणमूल कांग्रेस भुना रही है। तृणमूल कांग्रेस के नेता इसे भाजपा नेता के नाम पर नामकरण के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की आबो-हवा से जुड़े प्रो. राम भी कहते हैं कि बंगाली एक खास तरह की बंगालियत में जीता है। उसे अपने लेखक, अपने नेता, बंगाल के प्रतिमान के सिवा सबकुछ तुच्छ नजर आता है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव आयोग की घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आठ चरणों के चुनाव पर भी प्रतिक्रिया देकर बंगाल को जागरूक करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यह किसको फायदा पहुंचाने की कोशिश है। ममता शुक्रवार को सुबह से ही संदेश देने में लगी रहीं। आज उन्होंने अपने आवास पर लाइव यज्ञ किया। पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम का विरोध करते हुए पार्टी के नेता के साथ स्कूटी पर बैठकर संदेश देती नजर आईं।
ममता बनर्जी के स्कूटी पर बैठ कर दिए गए संदेश का वीडियो ही नहीं वायरल हुआ बल्कि हर समाचार चैनल, अखबार में भी प्रकाशित हुआ। शुक्रवार को चुनाव की अधिसूचना जारी होने के एन वक्त पर भी उन्होंने इस चुनाव को पूरी तरह से बंगाल और बंगाली की अस्मिता से जोड़ दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं कि खेल शुरू हुआ, खेल जारी है और इस खेल में हम जीतेंगे। देखना है क्या ममता पश्चिम बंगाल में काफी बड़ी हो चुकी राजनीतिक लड़ाई में भाजपा को मात दे पाती हैं।