पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को एक और बड़ा झटका लगा है. तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने आज राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. दिनेश त्रिवेदी जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो सकते हैं.
राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि असल में हम जन्मभूमि के लिए ही हैं और मुझसे ये देखा नहीं जा रहा है कि हम करें तो क्या करें, एक पार्टी में हैं तो सीमित हैं, लेकिन अब मुझे घुटन महसूस हो रही है, हम कुछ कर नहीं पा रहे हैं, उधर अत्याचार हो रहा है, आज मेरी आत्मा कह रही है कि इस्तीफा दे दो और बंगाल की जनता के बीच जाकर रहो.’
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘मैं आज यहां (राज्यसभा) से इस्तीफा दे रहा हूं और देश के लिए, बंगाल के लिए हमेशा काम करता रहा हूं और काम करता रहूंगा.’ बताया जा रहा है कि दिनेश त्रिवेदी अब तृणमूल कांग्रेस से भी इस्तीफा दे सकते हैं. अंदरखाने उनकी बातचीत बीजेपी से चल रही है.
दिनेश त्रिवेदी को लेकर कई बार अटकलें लगाई गई थी कि वो पार्टी छोड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही दिनेश त्रिवेदी बीजेपी में शामिल होंगे और इसके लिए उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया है. अब एक से दो दिन के दिनेश त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे देंगे और फिर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने दिनेश त्रिवेदी को अपने पाले में लाकर टीएमसी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया है. इससे पहले टीएमसी के बड़े नेता और ममता के बेहद करीबी शुभेंदु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उससे पहले मुकुल घोष भी टीएमसी छोड़कर ही बीजेपी में आए थे.
वैसे तो दिनेश त्रिवेदी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1980 के दौर में कांग्रेस से की थी, लेकिन 1998 में जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की तो वह भी टीएमसी में आ गए और पार्टी के पहले महासचिव बनाए गए थे. टीएमसी में आने से पहले वह 1990 से 96 तक गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे. इसके बाद टीएमसी ने पश्चिम बंगाल से उन्हें राज्यसभा भेजा और वह 2002 से 2008 तक सांसद बने रहे.
2009 के लोकसभा चुनाव में दिनेश त्रिवेदी बैरकपुर सीट से लड़े और जीते थे. 2009 में उन्हें केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया. अन्ना हजारे के समर्थन में उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था. ममता बनर्जी के सीएम बनने के बाद दिनेश त्रिवेदी को 13 जुलाई 2011 को देश का रेल मंत्री बनाया गया था.
हालांकि, एक साल बाद ही ममता बनर्जी ने उन्हें रेल मंत्री पद से हटवा दिया था. ममता बनर्जी ने रेल बजट में यात्री किराए को बढ़ाए जाने के दिनेश त्रिवेदी के फैसले के विरोध में उन्हें रेल मंत्री से पद हटाया था. पिछले साल 3 अप्रैल 2020 को दिनेश त्रिवेदी को टीएमसी ने एक बार फिर राज्यसभा भेजा था.