नई दिल्ली: भाजपा प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने बुधवार को कहा कि सपा सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति, सपा विधायक अरुण वर्मा एवं पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अयूब खान के लिए पुलिस ने कानून की परिभाषा बदल दी है।
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पाठक ने कहा, “प्रदेश में पुलिस चाहे जितनी हाईटेक कर दी जाए पर जब तक पुलिस तंत्र राजनीतिक हस्तक्षेप से बाहर नहीं होता तब तक राज्य की कानून व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है। उप्र में थाने सपा के दफ्तर के रूप में काम कर रहे हैं। दुष्कर्म के आरोपियों पर अखिलेश सरकार की रहमदिली से प्रदेश में दुष्कर्म आरोपियों के हौसलों बुलंद हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “सरकार की लड़कों से गलतियां हो जाती हैं, वाली नीतियों का परिणाम है कि अखिलेश सरकार की नियत पर सवाल उठ रहा है। मामूली धाराओं में गरीब आदमी को तत्काल जेल भेजने वाली उप्र पुलिस दुष्कर्म जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर होने के बावजूद आरोपियों पर नरम रूख अख्तियार किए है।”
प्रदेश महामंत्री ने कहा, “दुष्कर्म के मामले में एफआईआर के दस दिन बाद भी अखिलेश सरकार के होनहार मंत्री गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी में उप्र पुलिस के हाथ कांप गए। जबकि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी अखिलेश यादव उनके लिए प्रचार करने गए और आंखो से आंसू बहाते गायत्री चुनाव प्रचार करते रहे।
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पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अयूब के खिलाफ दुष्कर्म के मामले पर बोलते हुए पाठक ने कहा, “एफआईआर के चार दिन बाद भी पीड़िता के परिवारजनों का बयान न लेना और साक्ष्य न जुटाना यह साबित करता है कि पुलिस अयूब को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है। 2012 में भी पीस पार्टी के अध्यक्ष के विरुद्ध दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई और यह भी पता चला है कि पुराने दस्तावेज थाने से गायब हैं।”
उन्होंने कहा कि दुष्कर्म जैसे मामलों में अखिलेश सरकार के दबाव में संवेदनशून्य उप्र पुलिस दुष्कर्म आरोपियों और अपराधियों के हौसले बढ़ा रही है।