गाय के गोबर का उल्लेख धर्मग्रंथों में मौजूद है। गाय के गोबर का उपयोग घर को लीपने से लेकर, कंडे बनाने में होता है। यह प्रक्रियाएं सदियों से की जा रही हैं। यहां तक कि प्राचीन ऋषि-मुनि गाय के गोबर से पहले हवन वेदी को शुद्ध करते थे।
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तभी वहां देवताओं के लिए यज्ञ में होम दिया जाता था। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास माना गया है। यदि प्राचीन धर्मग्रंथों का अध्ययन करें तो पाएंगे प्राचीन काल में ऋषि-मुनि मिट्टी और गाय के गोबर के लेप से स्नान किया करते थे।
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गाय के गोबर का आयुर्वेदिक महत्व भी है। यही कारण है कि आयुर्वेद में जहां गौमूत्र पीने की सलाह दी गई है, तो वहीं गोबर का लेप लगाने से चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है।
गौर करने वाली बात यह कि गोबर के कंडे जलाने पर वायु प्रदूषण कम होता है। वह इसलिए कि गोबर में ऐसे कई रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जो जलने पर वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं को दूर कर सकते है।
12 मार्च को होली है। ऐसे में यदि होली में सिर्फ कंडों को ही जलाएं तो न केवल पर्यावरण बल्कि आपके अपने भी इस प्रदूषण से पूरी तरह से तो नहीं कुछ छुटकारा पा ही सकते हैं।
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