हम अपने खाने- पीने की चीजों को लेकर बहुत सावधना रहते है. हम खान में प्रोटीन की मात्रा को पूरा करने के लिए चिकन , मछली और अंडा का सेवन करते हैं. बाजार में चिकन काफी सस्ता मिलता है. इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है.
इतनी ज्यादा जनसंख्या होने के कारण चिकन की खपत पूरा करना मुश्किल होता है. इसलिए कई जगहों पर ब्रायलर चिकन मिलता हैं. ब्रायलर और देसी चिकन में काफी अंतर होता है. आइए जानते है चिकन के साइड इफेक्ट के बारे में .
ब्रायलर चिकन मुर्गी की नस्ल होती है. इसे खासतौर पर मांस के लिए पाला जाता है. खास बात ये है कि अंडे नहीं देते हैं. ब्रायलर मुर्गी फॉर्मिंग तीन तरह से होती हैं.
ब्रायलर के मुकाबले देसी चिकन ज्यादा फायदेमंद होता है. ब्रायलर चिकन की क्वालिटी भी इतनी अच्छी नहीं होती है. इसके अलावा ब्रायलर चिकन देसी चिकन से काफी सस्ता मिलता है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रायलर चिकन खाने से बचना चाहिए. क्योंकि उन्हें पोल्ट्री फॉर्म्स में इंजेक्शन के जरिए बड़ा किया जाता है. कई बार इनमें मौजूद बैक्टीरिया हमें बीमार कर सकता है.
डॉक्सीसाइक्लिन ट्रेटासाइक्लिन ग्रुप का एंटीबायोटिक है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक डॉक्सीसाइक्लिन लाइम डिजीज, साइनसोइटिस और प्रोस्टेटाइटिस से ठीक होने के लिए काम आता है. डॉक्सीसाइक्लिन की अत्यधिक मात्रा से शरीर में रेडनेस हो सकता हैं.
सीएसई के सर्वे के मुताबिक पॉलटरी उद्योग में इस्तमाल किए जाने वाले एंटी बायोटिक हमारे लीवर और किडनी के लिए खतरनाक हो सकता है. वहीं यूरोप और कनाडा जैसे देशों में इनका इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है. चिकन में ऑक्सी टेट्रासाइक्लिन की अनावशयक मात्रा आपके दांतों और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती है. खासकर गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए नुकसानदायक है.