उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अभी करीब सवा साल बाकी है, लेकिन उससे पहले सूबे में होने वाला पंचायत चुनाव 2022 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. यूपी में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल शुक्रवार को खत्म हो रहा है और पंचायत चुनाव को लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसके बावजूद पंचायत चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और इस बार का पंचायत चुनाव सियासी दलों की राजनीति का बड़ा अखाड़ा बनने जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में पहली बार पंचायत चुनाव में राजनीतिक दल बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें सत्ताधारी बीजेपी से लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा, अपना दल, आम आदमी पार्टी और AIMIM सहित तमाम विपक्षी पार्टियां अपनी किस्मत आजमाने की जुगत में है. यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से पार्टी नेताओं ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, जिसे सूबे की सियासी तपिश बढ़ने लगी है.
उत्तर प्रदेश के कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल आज यानी 25 दिसंबर शुक्रवार को पूरा हो रहा है. वहीं, 3 जनवरी 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में प्रदेश में एक साथ ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य और 75 जिले पंचायत के सदस्यों के 3200 पदों पर चुनाव कराए जाने हैं.
यूपी चुनाव आयोग सूबे के पंचायत चुनाव को अगले साल मार्च में हर हाल में कराने की तैयारी में है. ऐसे में फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है. ऐसे में मौजूदा ग्राम प्रधानों के कार्यकाल पूरे होने जाने के चलते ग्राम पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सहायक विकास अधिकारी को सौंपे जाएंगे, जिन्हें पंचायत सचिव सहयोग करेंगे. इस संबंध में सरकार ने तैयारी कर ली है.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है. सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपने सिंबल या फिर पार्टी अधिकृत प्रत्याशी उतारने की दिशा में मन बना लिया है. बीजेपी ने पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का ऐलान कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है. बीजेपी प्रवक्ता डॉ चन्द्रमोहन ने आजतक को बताया कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम हैं. इसलिए बीजेपी ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारेगी. पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश भर में जिला संयोजक को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा छह मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है.
उन्होंने बताया कि चुनाव शब्द जिसमें भी जुड़ा है, उसे बीजेपी हर हाल में लड़ेगी. बीजेपी के लिए कोई चुनाव छोटा बड़ा नहीं है. यूपी में ऐसे बहुत सारे चुनाव हैं, बीजेपी जिन्हें पहली बार लड़ रही है. ऐसे में बीजेपी पंचायत चुनाव समेत यूपी के सभी चुनावों में पूरी ताकत से लड़ने का फैसला कर चुकी है. पंचायत चुनाव के जरिए सूबे के हर गांव में नेतृत्व खड़ा करना बीजेपी का मकसद है. बीजेपी ग्राम प्रधान स्तर तक के चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी.
वहीं, विपक्ष पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के साथ उतरने की तैयारी में है. सपा ने जिला पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है जबकि ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए अधिकृत प्रत्याशी उतारने को लेकर मन बनाया है. ऐसे ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव तो पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है, लेकिन ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ेगी.
बसपा ने भी पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी के कॉडिनेटर जिला पंचायत सदस्य से लेकर ग्राम प्रधान प्रत्याशी के चयन को लेकर बैठक कर रहे हैं. हाल ही में बसपा के कॉडिनेटर मुनकाद अली ने कहा कि पार्टी पंचायत चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी और कर्मठ कार्यकर्ताओं को उतारेगी. इसके लिए बसपा ने अपने मंडल और जिला कॉडिनेटर को जिम्मेदारी सौंपी है. बसपा इससे पहले भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव सिंबल पर लड़ चुकी है, लेकिन इस बार ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के लिए भी कमर कस ली है.