विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन में कहा गया है कि पांच करोड़ भारतीय अवसाद से पीड़ित हैं। यह अध्ययन मुख्यत: 2015 में भारत जैसे कम या मध्यम आय वाले देशों में मुख्य रूप से किया गया है। 2015 के लिए अवसाद पर अपने नए वैश्विक स्वास्थ्य आंकलन में डब्ल्यूएचओर ने कहा कि इसके अलावा तीन करोड़ से ज्यादा लोग चिंता के विकारों से पीड़ित हैं।
‘अवसाद और अन्य आम मानसिक विकारों-विश्व स्वास्थ्य आंकलन’ से संबंधित रिपोर्टों में कहा गया कि वैश्विक आत्महत्याओं में दो-तिहाई से ज्यादा भारत जैसे कम और मध्यम आय वाले देशों में हैं। डब्ल्यूएचओ दस्तावेज में कहा गया कि दुनिया भर में 322 मिलियन लोग अवसाद से पीड़ित हैं और इनमें से आधे दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों में रहते हैं और यह भारत और चीन के अपेक्षाकृत बड़ी आबादी को दर्शाती है।
‘भारत में 2015 में अवसाद विकारों के कुल मामले 56675969 थे’
‘भारत में 2015 में अवसाद विकारों के कुल मामले 56675969 थे’
अध्ययन में दस्तावेजों में कहा गया कि दुनिया में अवसाद में जीवन यापन कर रहे लोगों की कुल आबादी में 2005 और 2015 के बीच 18.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2015 में अवसाद विकारों के कुल मामले 56675969 थे, जो 2015 में आबादी का 4.5 फीसदी था। जबकि चिंता के विकारों के कुल मामले 38425093 थे, जो इसी साल की अवधि में आबादी का 3 फीसदी था।
साथ ही इन आंकड़ों में यह भी कहा गया कि 2015 में 788000 लोगों ने आत्महत्याएं की जबकि इतनी ही संख्या से ज्यादा लोगों ने हत्या के प्रयास किए लेकिन वे मरे नहीं। दुनिया भर में सभी प्रकार की मौतों का 1.5 फीसदी आत्महत्या से है ओर यह 2015 में मौतों के शीर्ष 20 कारणों में एक है।
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