खराब जीवनशैली के कारण लोगों को कई शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है. इसमें सेक्स (Sex) संबंधित परेशानियां भी शामिल हैं. अनियमित दिनचर्या से शारीरिक असंतुलन बढ़ता जाता है, जो सेक्स लाइफ को खराब कर देता है. इसमें एक बेहद गंभीर समस्या है हाइपोगोनेडिज्म की, जो कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकती है, लेकिन यहां हम बात करेंगे महिलाओं में होने वाला हाइपोगोनेडिज्म की, जिसे हम फीमेल हाइपोगोनेडिज्म कहते है-
ये है हाइपोगोनेडिज्म की समस्या–
महिलाएं हाइपोगोनेडिज्म की समस्या से तब ग्रसित होती है, जब उनकी लिंग संबंधित ग्रंथियां बहुत ही कम मात्रा में सेक्स हार्मोन्स का निर्माण करती हैं या बिल्कुल भी नहीं कर पाती है. सेक्स ग्रंथियों को गोनाड्स कहा जाता है. यह गोनाड्स महिलाओं के अंडाशय के निर्माण, स्तन के विकास और महावारी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं. महिलाओं को यह समस्या रजोनिवृत्ति के समय भी हो सकती है. इस समस्या के होने का एक कारण अनुवांशिक भी होता है. कई बार महिलाओं में डायबिटीज या वजन बढ़ने की वजह से भी हाइपोगोनेडिज्म की समस्या हो सकती है.
हाइपोगोनेडिज्म के प्रकार–
हाइपोगोनेडिज्म दो प्रकार के होते हैं पहला प्राइमरी हाइपोगोनेडिज्म और दूसरा सेंट्रल हाइपोगोनेडिज्म. दोनों में काफी अंतर है.
प्राइमरी हाइपोगोनेडिज्म में शरीर पर्याप्त मात्रा में सेक्स हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है. इसमें मस्तिष्क सेक्स ग्रंथियां को सेक्स हार्मोन बनाने के लिए संदेश तो देती हैं लेकिन सेक्स ग्रंथियां सेक्स हार्मोन बनाने में सक्षत नहीं होती हैं.
वहीं जब मस्तिष्क में पाई जाने वाली हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि, जो गोनाड को नियंत्रित करती है, सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पाती है. तो ऐसे में मस्तिष्क सेक्स ग्रंथियों को निर्देश नहीं दे पाता है, जिसे सेंट्रल हाइपोगोनेडिज्म कहा जाता है.
चिंता न करें, उपलब्ध है इलाज–
हाइपोगोनेडिज्म का उपचार चिकित्सा विज्ञान के पास उपलब्ध है, लेकिन यह भी जरूरी है कि इसके लक्षणों को समझकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि इसका सही समय पर इलाज शुरू हो सके. फीमेल हाइपोगोनेडिज्म की समस्या होने पर डॉक्टर कई ऐसी दवाएं दे सकते हैं, जिनसे सेक्स हार्मोन्स सामान्य रूप से बन सकें. इन दवाओं में डीयरलो, एलिन-35, एर्जेस्ट, एसरो-जी, एसरो-एल, फ्लोरिना-जी और फ्लोरिना-एन जैसी दवाएं दी जाती हैं. लेकिन सिर्फ दवाएं ही इस समस्या का हल नहीं है.
ऐसे रखें अपने स्वास्थ्य का ध्यान–
अपने शरीर की सेक्स ग्रंथियों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम और प्राणायाम करना लाभकारी होता है. इसके अतिरिक्त हरी पत्तेदार सब्जियां और पौष्टिक आहार को भी अपने भोजन में शामिल करना चाहिए. यदि दिनचर्या स्वस्थ होगी तो शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा.
नियमित रूप से करीब 40 मिनट की ब्रिस्क वॉक जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से शरीर में टॉक्सिन कम होता है और शरीर की सभी ग्रंथियां सुचारू रूप से काम करती है. अक्सर हम देखते हैं कि मोटापा बढ़ने के साथ कई शारीरिक समस्याएं पैदा हो सकती है. इसके मुख्य कारणों में शरीर में मौजूद ग्रंथियों का जरूरत के मुताबिक हार्मोन का उत्सर्जन ना कर पाना है. ऐसे में यदि शरीर का वजन नियंत्रित रहेगा को हाइपोगोनेडिज्म के साथ अन्य कोई समस्या भी नहीं होगी क्योंकि हाइपोगोनेडिज्म भी हार्मोन असंतुलन के कारण होने वाली एक शारीरिक समस्या है.