आन्ध्र प्रदेश: हैदराबाद में रहने वाला एक पीएचडी स्कॉलर मेफेड्रोन ड्रग का उत्पादन करते हुए पकड़ा गया है जिसकी कीमत करीब 64 लाख रुपए बताई जा रही है. जांच में पाया गया है कि वह बीते एक साल में करीब 100 किलोग्राम मेफेड्रोन बेच चुका है.
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने एक मिली सूचना के आधार पर मेफेड्रोन ड्रग की मैन्युफैक्चरिंग करने वाले एक पीएचडी स्कॉलर और खरीदने वाले शख्स को रंगे हाथों पकड़ लिया है. इस दौरान DRI ने 3.156 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त की जिसकी कीमत करीब 64 लाख रुपये बताई जा रही है. जब DRI की टीम मेफेड्रोन ड्रग का उत्पादन करने वाले के घर गई तो उसे वहां 112 ग्राम मेफेड्रोन के साथ-साथ 12.40 लाख रुपए भी मिले जिसे DRI की टीम ने जब्त कर लिया.
इसके अलावा हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित क्लैन्डेस्टोन टैबलेट लैब से लगभग 219.5 किलोग्राम कच्चे माल को जब्त किया गया है, जिससे करीब 15-20 किलोग्राम मेफेड्रोन का निर्माण और किया जा सकता था. DRI ने अपनी जांच में पाया है कि मेफेड्रोन के उत्पादन के पीछे मुंबई स्थित एक नेटवर्क काम कर रहा है.
शुक्रवार के दिन इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड के अलावा दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मेफेड्रोन को मैन्युफैक्चर करने वाले शख्स ने रसायन विज्ञान में पीएचडी की हुई है, जो पहले फार्मा सेक्टर में ही काम करता था. DRI की प्राथमिक जांच में पता चला है कि इस पीएचडी स्कॉलर ने पिछले एक साल में करीब 100 किलोग्राम से अधिक मेफेड्रोन की बिक्री की है.
क्या है मेफेड्रोन ड्रग?
मेफेड्रोन ड्रग कोई दवाई नहीं है बल्कि एक सिंथेटिक खाद की तरह है जो कोकेन और हेरोइन से भी अधिक नशीला पदार्थ है. इसका उपयोग नौजवान नशे के रूप में करने लगे हैं, चूंकि इसकी कीमत कोकेन और हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों के मुकाबले काफी कम है इसलिए बीते दिनों से भारत में इसका प्रचलन बढ़ा है. मेफेड्रोन ड्रग नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 (एनडीपीएस अधिनियम) के अनुसार भारत में प्रतिबंधित है. बोलचाल की भाषा में मेफेड्रोन ड्रग को ‘ड्रोन’ या ‘म्याऊं-म्याऊं’ नाम के कोड से भी जाना जाता है.