किसान आन्दोलन : पंजाब से दो दिन में 15 हजार से ज्यादा किसान कुंडली बॉर्डर पहुचे

कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर किसानों का आंदोलन लंबा होता जा रहा है और केंद्र सरकार से कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई फैसला नहीं हो सका है। बातचीत विफल होने के बाद किसान सरकार पर दबाव बनाने में जुट गए हैं। इसके लिए किसानों के जत्थे लगातार बुलाए जा रहे हैं तो अन्य राज्यों में किसानों को ज्यादा से ज्यादा बुलाने के लिए संपर्क किया जा रहा है। 

हालात यह हैं कि अकेले पंजाब से दो दिन में करीब 15 हजार से ज्यादा किसान कुंडली बॉर्डर पर पहुंच गए हैं और वहां किसानों का पड़ाव बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय और राज्य खुफिया एजेंसियों ने किसानों के धरने में बढ़ती भीड़ को देखकर बवाल की आशंका जताई है। इसके मद्देनजर डीसी श्यामलाल पूनिया ने जिलेभर में धारा-144 लगाने का आदेश जारी किया है।

कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसानों ने 27 नवंबर से नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। जहां पहले दिन करीब 2 हजार ट्रैक्टर-ट्राली व अन्य वाहनों में 25 हजार किसान कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे थे। उसके बाद से किसान लगातार बढ़ते जा रहे हैं और 15 दिन के अंदर किसान दोगुने हो गए हैं। जहां पंजाब से किसानों का लगातार ट्रैक्टर-ट्राली व अन्य वाहनों में आना जारी है तो हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान व अन्य राज्यों के किसानों का धीरे-धीरे पहुंचना जारी है। 

अब किसानों का पड़ाव केएमपी व केजीपी का जीरो प्वाइंट फ्लाईओवर भी चंडीगढ़ की ओर पार कर गया है। किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों में किसानों से संपर्क करके उनको कुंडली बॉर्डर पर बुलाने में जुटे हुए हैं। किसान प्रतिनिधि वहां भीड़ जुटाकर सरकार पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं। किसानों के आंदोलन की यह रणनीति काफी हद तक सफल भी होती दिख रही है और सरकार की ओर से बातचीत के रास्ता खुला होने की बात कही जाने लगी है। हालांकि किसान प्रतिनिधियों के पास अभी तक अधिकारिक बुलावा नहीं आया है।

कुंडली बॉर्डर पर किसान लगातार पहुंच रहे हैं और देशभर से पिछले कुछ दिनों में 25 हजार से ज्यादा किसान यहां आए हैं। हर किसी की केवल यही मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए। सरकार कृषि कानूनों को रद्द कर देती है तो किसान आराम से अपने घर चले जाएंगे और कानून रद्द नहीं किए जाने पर यहां बैठे रहेंगे। यहां किसान अभी बढ़ रहे हैं और सरकार को यह भारी पड़ सकता है। 
– गुरनाम सिंह चढूनी, अध्यक्ष भाकियू हरियाणा

किसान लगातार बढ़ते जा रहे हैं और पंजाब से हजारों किसान यहां आए हैं। अब यह आंदोलन बहुत बड़ा हो गया है, जिसको सरकार संभाल भी नहीं पाएगी। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द किसानों की मांगों को मानकर कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए। किसानों को सरकार से बातचीत का प्रस्ताव मिलता है तो हम बातचीत जरूर करेंगे, लेकिन वह बातचीत किसानों के हित में होनी चाहिए।
– बलबीर सिंह राजेवाल, अध्यक्ष भाकियू पंजाब

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