पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा केंद्र में पहचान पत्र के अभाव में किसी को परीक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता है। अदालत ने कहा है कि परीक्षा केंद्र निरीक्षक के पास ऐसे अन्य विकल्प हो सकते हैं, जिसके आधार पर परीक्षार्थी की पहचान सुनिश्चित की जा सके। मामला रेवाड़ी निवासी निधी राव की याचिका से जुड़ा है।
राव ने याचिका दाखिल कर कहा था कि जब वह नीट की परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं, तो उनके पास आधार कार्ड की स्कैन कॉपी थी। जबकि ओरिजनल नहीं। मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए रिजल्ट सील कवर में हाईकोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। अब इस याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।कहा है कि पहचान के दस्तावेज परीक्षा केंद्र पर अनुशासन और पारदर्शिता के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन इसे अनिवार्य मानकर किसी परीक्षार्थी को परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता। परीक्षार्थी की पहचान परीक्षा केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी की संतुष्टि पर निर्भर होती है। यदि किसी के पास असल दस्तावेज नहीं हैं, तो उसकी पहचान को पुख्ता करने के और तरीके भी हो सकते हैं। ऐसे में सीधे तौर पर इस आधार पर परीक्षा देने से रोकना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है।