जेल से रिहा होकर घर पहुंचे जामा मस्जिद कमेटी सदर जफर अली एडवोकेट ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर जनता चाहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे। आगे कहा कि कोई भी लड़ाई लड़ने के लिए पावर होना जरूरी है।
जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुए बवाल में गिरफ्तार किए गए जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट की शुक्रवार को रिहाई हो गई है। वह जेल से जब संभल पहुंचे तो लोगों ने जोरदार स्वागत किया। आतिशबाजी की गई और फूल मालाएं डालीं। सदर कार में खड़े होकर लोगों को हाथ हिलाते आगे बढ़े। सदर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिस बयान में वह जेल गए हैं। वह बयान तो अब खत्म हो गया। अदालत की लड़ाई अब अदालत में देखी जाएगी।
जामा मस्जिद कमेटी सदर 23 मार्च से जेल में बंद थे। उन पर बवाल की साजिश रचने और गंभीर अपराध में झूठे बयान देने समेत कई गंभीर आरोप हैं। चार्जशीट में इसका उल्लेख किया गया है। सदर की जमानत सेशन कोर्ट से खारिज हो गई थी। इसके बाद परिजन हाईकोर्ट पहुंचे थे। जहां से 24 जुलाई को जमानत मिल गई थी, लेकिन चार्जशीट दाखिल होने के दौरान पुलिस ने विवेचना कर बीएनएस की धारा 353(2), 61(2)(a) बढ़ाई थीं। इसके चलते उनकी जमानत के लिए बुधवार को एमपी/एमएलए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जहां जमानत खारिज कर दी थी। इसके बाद एमपी/एमएलए कोर्ट सत्र न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई थी। जहां से जमानत मिल थी। अब उनकी रिहाई हो गई है।
जनता चाहेगी तो विधानसभा चुनाव भी लडूंगा
जेल से रिहा होकर घर पहुंचे जामा मस्जिद कमेटी सदर जफर अली एडवोकेट ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर जनता चाहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे। आगे कहा कि कोई भी लड़ाई लड़ने के लिए पावर होना जरूरी है। यदि मेरे हाथ में पावर होती तो मैं जेल नहीं जाता। इसलिए चुनाव का फैसला जनता को करना है।