केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने आइपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा के निलंबन पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। छह अक्टूबर को कैट ने इस मांग से संबंधित अंतरिम आवेदन पर सुनवाई पूरी होने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। गुरुवार को आदेश सुनाया गया। ज्ञात हो कि मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें नोटिस जारी कर एक दिन में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था। शर्मा के स्पष्टीकरण से सरकार संतुष्ट नहीं हुई और जवाब भेजने के एक घंटे के भीतर ही उन्हें निलंबित कर दिया।
अंतरिम आवेदन में की गई मांग को किया दरकिनार
कैट के न्यायिक सदस्य रमेश सिंह ठाकुर और प्रशासनिक सदस्य नैनी जयशीलन की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता शर्मा के अंतरिम आवेदन में की गई मांग दरकिनार कर दी। हालांकि मूल याचिका पर राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब- तलब कर लिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने दलील दी कि तथ्यों को जांचे बिना ही आइपीएस को परेशान करना शुरू कर दिया गया है।
वायरल वीडियो कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत
राज्य शासन ने 29 सितंबर को सीनियर आइपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को निलंबित कर दिया था। अधिकारी का निलंबन कथित रूप से पत्नी से मारपीट के आरोप में हुआ था। एक वायरल वीडियो में वे अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते हुए नजर आए थे। वीडियो वायरल होने के बाद से प्रदेश सरकार ने पहले उन्हें पद से हटाकर गृह विभाग में अटैच कर दिया था।
गृह विभाग ने वायरल वीडियो को लेकर उन्हें नोटिस भेजा था और जवाब भी मांगा था। इसी मामले पुरुषोत्तम शर्मा की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि सरकार ने उनका पक्ष बिना सुने उन्हें निलंबित कर दिया, जबकि सरकार का तर्क है कि वायरल हुआ वीडियो कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत था।