देश से बीते कुछ दिनों से कई तरह की घटनाएं सामने आ रही है. वही इस बीच बैरागढ़ की पुत्री ने पिता के निधन के पश्चात् भी न खुद हिम्मत हारी, न ही परिवार का हौसला टूटने दिया. पुत्र का धर्म निभाते हुए पूर्व में पिता को मुखाग्नि दी. तत्पश्चात, पगड़ी रस्म में बैठकर पगड़ी पहनी, तथा पिता से मिले संस्कारों की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रण लिया. लक्ष्मण नगर रहवासी मूलचंद दासवानी का तीन दिवस पूर्व स्वर्गवास हो गया था.
वही श्री दासवानी संक्रमित हो गए थे. चिरायु हॉस्पिटल में उपचार के दौरान उनका देहावसान हो गया. खतरे की घड़ी में पूरा परिवार बहुत दुखी था, किन्तु पुत्री कीर्ति दासवानी ने हिम्मत नहीं हारी. पुत्री ने न सिर्फ अपनी मां तथा भाई-बहिन का हौसला बढ़ाया, बल्कि स्वयं पिता को मुखाग्नि देने का निर्णय किया. दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कीर्ति ने पिता को मुखाग्नि दी. मंगलवार को स्व. दासवानी की पगड़ी रस्म थी.
साथ ही पगड़ी रस्म में पहुंचे पूज्य सिंधी पंचायत के पद अधिकारी एवं स्व. मूलचंद के शुभचिंतक पगड़ी के लिए बैठे चार सदस्यों में एक लड़की को देख चौंक गए. सिंधी समाज में मृतक की पगड़ी रस्म में परिवार के चार मेंबर बैठते हैं. कुल ब्राह्मण उन्हें पगड़ी पहनाकर परिवार की विरासत सुपुर्द करने की रस्म अदा करते हैं. वही बैरागढ़ में संभवतः यह प्रथम मौका था, जब किसी पगड़ी रस्म में पुत्री ने भी पगड़ी पहनी हो. पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव माधु चांदवानी के अनुसार, पिता को पुत्री द्वारा मुखाग्नि देने के अनेक उदाहरण हैं, किन्तु पगड़ी रस्म में हमने पहली बार पुत्री को देखा है. वही इस दृश्य को देखने वाला हर एक व्यक्ति हैरान था.
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