गर्भ संस्कार उन सोलह संस्कारों में से एक है, जिसकी प्राचीनकाल से भारतीय संस्कृति में व्याख्या की गई है. यह संस्कार आयुर्वेद (Ayurveda) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे चिकित्सा विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है. इस संस्कार के मुताबिक मां (Mother) और गर्भ में पल रहा शिशु एक-दूसरे से हर पल जुड़े होते हैं. मां की भावनात्मक स्थिति, मानसिक स्थिति, उसकी विचारधारा, खान-पान आदि सभी का गहरा प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है. वह मां के गर्भ में सब सुनता और ग्रहण भी करता है. माता के गर्भ में आने के बाद से गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है. मां की आदतें, उसकी इच्छा आदि भी संस्कार के रूप में उसकी संतान के अंदर प्रवेश कर जाते हैं जो समयानुसार दिखाई देते हैं.

आयुर्वेद के मुताबिक गर्भ संस्कार एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है. myUpchar से जुड़े डॉ. विशाल मकवाना का कहना है कि गर्भ संस्कार में माता और बच्चे दोनों के लिए बहुत से लाभ हैं. गर्भ संस्कार में शामिल प्रथा इस तथ्य पर निर्भर करती है कि बच्चा गर्भ से बाहर के माहौल से प्रभावित होता है यानी एक स्वच्छ और सुखी बच्चा सुखद माहौल का परिणाम होता है. गर्भवती महिला के लिए आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार को अपनाना एक अच्छा कदम हो सकता है.
सात्विक भोजन करें
गर्भावस्था के दौरान गर्भ संस्कार में सात्विक आहार शामिल करने की बात कही गई है. आयुर्वेद में सुझाए गए खाद्य पदार्थों पर आधारित, ताजा, हल्की चिकनाई वाला, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन को सात्विक भोजन करते हैं. myUpchar से जुड़े डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला का कहना है कि प्रकृति में शाकाहारी भोजन को ‘सात्विक’ माना जाता है. सात्विक को शांति, एकाग्रता, सभी के लिए प्यार, मन में आशावाद जैसे गुणों के लिए जाना जाता है. सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति देता है. सात्विक भोजन का महत्व यह है कि इसमें सभी प्रकार के स्वाद हैं, जैसे मीठा, खट्टा, कड़वा, तीखा और नमकीन. मसालेदार, डिब्बाबंद, रिफाइंड या फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए.
सुखदायक संगीत सुनें
गर्भ में शिशु तीसरी तिमाही की शुरुआत से सुनने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम होता है. इसलिए गर्भवती को ऐसा संगीत सुनना चाहिए जो सुखदायक और शांति प्रदान करने वाला हो. गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह का तनाव दूर करने का यह एक बहुत शानदार माध्यम है. विशेष रूप से वाद्य यंत्रों वाला संगीत सुनना बच्चे के मस्तिष्क के विकास और सुनने की भावना उत्तेजित करता है.
सकारात्मक सोच
इसमें कोई शक नहीं है कि गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसकी वजह से मूड बदलता रहता है, लेकिन अपने मूड को अच्छा रखना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बहुत जरूरी है. इसके लिए सकारात्मक सोच महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बेहतर होगा कि अपनी सोच को सही दिशा और सकारात्मकता से भरपूर बनाए रखने के लिए ऐसे कामों में मन लगाएं जो खुशी दें. ऐसे शौक या रुचि में वक्त गुजारें जो खुश रखने में मदद करें.
ध्यान और हल्का व्यायाम
तनाव से निपटने के लिए योग को इस समय अपनाना बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के समय ध्यान और योग का अभ्यास करने से बच्चे पर सकारात्मक असर पड़ेगा. इससे बच्चा खुशमिजाज रहेगा. गर्भावस्था के दौरान हल्के व्यायाम करें क्योंकि इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है और पीठ या पैरों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही इससे शरीर में एंडोर्फिन रिलीज होता है, जिससे अच्छा महसूस होता है और खुश रहने में मदद मिलती है.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal