कोरोना वायरस महामारी से दुनिया को निजात दिलाने के लिए भारत और अमेरिका के वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। इस वायरस से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने के लिए दोनों देशों के चुनिंदा विज्ञानियों की आठ टीमें बनाई गई हैं।
ये टीमें एंटीवायरल कोटिंग्स, प्रतिरक्षा मॉड्यूलेशन, अपशिष्ट जल में कोरोना वायरस की तलाश, रोग का पता लगाने वाले तंत्र, रिवर्स आनुवंशिक रणनीतियों और कोरोना के इलाज में मौजूदा दवाओं की उपयोगिता का पता लगाने जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान करेंगी।
इंजीनियरिंग और नवाचार को बढ़ावा देता है यह संगठन
भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (IUSSTF) ने शोध के लिए टीमें गठित करने घोषणा की। आइयूएसएसटीएफ एक द्विपक्षीय स्वायत्त संगठन है, जिसका वित्तपोषण भारत और अमेरिका की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। यह संगठन दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और नवाचार को बढ़ावा देता है।
भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और अमेरिका विदेश मंत्रालय क्रमश: इसके नोडल विभाग हैं।
वैज्ञानिकों से मांगे गए थे प्रस्ताव
डीएसटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस विषय पर आगे अनुसंधान के लिए दोनों देशों में कोरोना महामारी पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों से प्रस्ताव मांगे गए थे। इन्हीं में से बेहतर काम करने वाले विज्ञानियों का चयन किया गया है और उनको मिलाकर ये टीमें बनाई गई हैं।
संगठन के भारतीय शाखा के सह अध्यक्ष और डीएसटी के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि बेहद कम समय में मंगाए गए प्रस्ताव पर जिस तरह से प्रतिक्रिया मिली है, उससे भारत और अमेरिका के बीच बुनियादी शिक्षा से लेकर कोरोना वायरस के प्रसार, पहचान और इलाज के क्षेत्र में व्यापक सहयोग का पता चलता है।
संगठन के अमेरिकी शाखा के सह अध्यक्ष जोनाथन मार्गोलिस ने कहा कि आइयूएसएसटीएफ के माध्यम से अमेरिका और भारत कोरोना से लड़ने के लिए संयुक्त रूप से विकसित नए प्रौद्योगिकी को कम समय में जुटाने में सक्षम हुए।