चुनाव में करारी शिकस्त पाने वाले श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को एक और बड़ा झटका लगा है. ईस्टर अटैक की जांच कर रहे पैनल ने विक्रमसिंघे को पूछताछ के लिए तलब किया है. 18 अगस्त को उनका बयान दर्ज किया जाएगा.
साल 2019 में ईस्टर के मौके पर तीन चर्चों के साथ कुछ होटल्स में सीरियल बम ब्लास्ट किए गए थे. इस हमले में 11 भारतीयों समेत कुल 258 लोगों की मौत हो गई थी. जिस वक्त ये हमला हुआ था तब श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ही थे.
पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे को पूछताछ के लिए तलब करना इसलिए भी बड़ी घटना है, क्योंकि ईस्टर अटैक के तार ISIS से जुड़े थे. इस अटैक के लिए श्रीलंका के ही एक चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (NTJ) को जिम्मेदार माना गया था, जिसके कनेक्शन आईएसआईएस से थे. वहीं, ये मुद्दा चुनाव पर भी भारी रहा है.
हमले के बाद आरोप लगे थे कि खुफिया जानकारी होने के बावजूद तत्कालीन सरकार हमले को रोकने में असफल रही. चुनाव में विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया. गोटाबाया राजपक्षा ने निष्पक्ष जांच की मांग की थी, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना एक पैनल का गठन किया. अब जबकि हाल ही में हुए चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो गया है और गोटाबाया राष्ट्रपति बन गए हैं तो उन्होंने पुराने पैनल से ही जांच को जारी कराया है. विक्रमसिंघे की पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण यही ईस्टर अटैक बताया जा रहा है.
इसी कड़ी में पैनल की पुलिस यूनिट ने पूर्व पीएम विक्रमसिंघे को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है और 18 अगस्त को पेश होने के लिए कहा है. विक्रिमसिंघे के अलावा उनकी सरकार में पुलिस और रक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले दो पूर्व मंत्रियों को भी तलब किया गया है.
विक्रमसिंघे को तलब किया जाना उनके लिए दोहरा झटका है. 5 अगस्त को श्रीलंका में संसदीय चुनाव में विक्रमसिंघे की पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. वो खुद भी नहीं जीत पाए हैं. 1977 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब विक्रमसिंघे पार्लियामेंट न पहुंचे हों.
शर्मनाक हार के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता के रूप में पद छोड़ने का फैसला किया है. वह पार्टी के पद पर 26 साल तक काबिज रहे हैं. हाल में संपन्न हुए चुनाव में श्रीलंका की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी यूएनपी ने किसी भी सीट पर जीत दर्ज नहीं की है.