बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले में उनके पिता द्वारा पटना में दर्ज एफआइआर का विरोध मुख्य आरोपित रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में किया है। इस बीच पटना पुलिस ने दर्ज एफआइआर के आधार पर मामले की मुंबई जाकर जांच की। रिया की याचिका पर पांच अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा। बिहार सरकार ने शुक्रवार काे सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया, जिसमें उसने कहा है कि एफआइआर दर्ज करना उसके अधिकार क्षेत्र में था। बिहार सरकार के जवाब के अनुसार रिया ने सुशांत की मानसिक बीमारी की गलत कहानी भी गढ़ी।
पैसों के लिए बढ़ाईं नजदीकियां
हलफनामे में बताया गया है कि रिया चक्रवर्ती और उसके परिवार के सदस्यों ने सुशांत सिंह राजपूत से उनके पैसे हड़पने के लिए नजदीकियां बढ़ाईं। रिया ने सुशांत की मानसिक बीमारी की झूठी कहानी तैयार की। पटना पुलिस की जांच की जानकारी देते हुए बिहार सरकार ने बताया कि रिया व उसके परिवार के खिलाफ सुशांत के पिता ने एफआइआर में जो आरोप लगाए हैं, उनमें सत्यता है।
सुशांत को दी दवाओं की ओवरडोज
पटना पुलिस ने सुशांत के करीबी लोगों से बातचीत में पाया कि सुशांत को दवाओं की ओवरडोज दी जा रही थी। वे बीमार थे, पर डिप्रेशन में नहीं थे। रिया के परिवार ने रुपये हड़पने के लिए साजिश के तहत सबकुछ किया।
अधिकार क्षेत्र में थी एफआइआर
पटना में एफआइआर दर्ज करने को लेकर बिहार सरकार ने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र था। हलफनामा में कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने कोई संगीन मामला दर्ज नहीं किया। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की।
क्या है पूरा मामला, जानिए
विदित हो कि सुशांत सिंह राजपूत मुंबई स्थित अपने फ्लैट में 14 जून को मृत मिले थे। इस मामले में सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना में बेटे की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती व उनके परिवार के खिलाफ धन उगाही, ब्लैकमेल, प्रताड़ना व सुसाइड के लिए उकसाने आदि के आरोपों में एफआइआर दर्ज कराई। एफआइआर के बाद पटना पुलिस की जांच टीम (SIT) मुंबई पहुंची, लेकिन वहां की पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। मुख्य आरोपित रिया चक्रवर्ती ने पटना की एफआइआर मुंबई ट्रांसफर करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी, जिसका सुशांत के पिता व बिहार सरकार ने कोर्ट में विरोध किया है तो रिया के पक्ष में महाराष्ट्र सरकार है। इस मामले में पहली सुनवाई पांच अगस्त को हुई, जिसमें कोर्ट ने सभी पक्षों से तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा था। इस सिलसिले में बिहार सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।