भारत में बन रही इस COVID-19 वैक्सीन पर है दुनिया की नजर, कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और मंत्री ने किया सम्पर्क

कोरोना का बढ़ता संक्रमण दुनियाभर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। राहत की बात यह है कि बड़ी संख्या में लोग पहले से उपलब्ध दवाओं और पिछले कुछ महीनों में तैयार दवाओं और इलाजों के जरिए ठीक भी हो रहे हैं। दूसरी अच्छी खबर यह है कि भारत, ब्रिटेन, रूस, अमेरिका जैसे कई देश कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के काफी करीब पहुंच गए हैं। जो काम करने में पहल दशकों लग जाते थे, वह काम महीनों में पूरा होता जा रहा है। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। रूस, ब्रिटेन, चीन, अमेरिका आदि देशों ने भी जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा किया है। वहीं, भारत में तैयार हो रही वैक्सीन पर भी पूरी दुनिया की नजर है।

कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने के लिए देश की कई फार्मा कंपनियां तेजी से काम कर रही है। आईसीएमआर के साथ काम कर रही हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक, पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अहमदाबाद की जायडस कैडिला के अलावा भी अन्य कंपनियां वैक्सीन बनाने में लगी हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन बना रही है। इस वैक्सीन के लिए कई देश कंपनी से संपर्क साध रहे हैं।

पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) का नाम विश्व की अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनियों में आता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के साथ तैयार वैक्सीन को कंपनी ने भारत में कोविशील्ड (Covishield) नाम दिया है। इस वैक्सीन को पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल में सफलता मिल चुकी है। यही कारण है कि पूरी दुनिया की नजर इस वैक्सीन पर है।

यह वही वैक्सीन है, जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ दोहरा मार करने में सफलता हासिल की है। ट्रायल के दौरान यह वैक्सीन मानव शरीर में एंटीबॉडी और टी-कोशिकाएं (T-Cells), दोनों बनाने में कामयाब हुई है। टी-कोशिकाएं वायरस की पहचान करने में मदद करती है और एंटीबॉडी वायरस से लड़ती है।

कंपनी के प्रमुख अदार पूनावाला के मुताबिक, जल्द ही इस वैक्सीन का देश में ह्यूमन ट्रायल होने वाला है। ब्रिटेन और अन्य देशों में इस वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल हो चुका है, जिसके सकारात्मक परिणाम रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। भारत में इस वैक्सीन का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल होगा। कई देशों की नजर इस वैक्सीन पर है।

न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए गए साक्षात्कार में सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि कंपनी ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों के साथ हर मिनट 500 खुराक बनाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा, “मुझे दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों के फोन आ चुके हैं। सभी लोग वैक्सीन का पहला बैच मांग रहे हैं। मेरे पास लगातार फोन आ रहे हैं। उनमें से कई लोगों को तो मैं जानता तक नहीं।”

अदार पूनावाला ने कहा कि ट्रायल सफल होने को लेकर वह आश्वस्त हैं, जिसके बाद कंपनी भारत में 50 करोड़ से अधिक वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। वैक्सीन तैयार करने वाले संस्थाओं और कंपनियों का कहना है कि अगर ट्रायल सफल होता है तो उन्हें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की फैक्ट्रियों की जरूरत पड़ेगी।

मालूम हो कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का नाम वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की बड़ी कंपनियों में गिना जाता है। कंपनी के दावे के मुताबिक, यहां हर साल दूसरी वैक्सीन की डेढ़ अरब डोज बनती हैं, जो गरीब देशों में भेजी जाती हैं। खबरों के मुताबिक, दुनिया के आधे बच्चों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन लगाई जाती है।

कुछ दिन पहले ही कंपनी ने 60 करोड़ ग्लास-वायल मंगवाए थे। अदार पूनावाला का कहना है कि उनके ऊपर बहुत दबाव है। कई देशों से वैक्सीन के पहले बैच की मांग की जा रही है। हालांकि वह पूरी कोशिश में हैं कि 50 फीसदी डोज भारत में रहे और बाकी 50 फीसदी डोज अन्य देशों में दी जाए।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धनवान देश वैक्सीन हासिल करने की रेस में आगे निकल सकते हैं और गरीब देश इसमें पिछड़ सकते हैं। वैक्सीन हासिल करने के लिए यूरोपीय संघ आक्रामक कदम उठा रहा है। हाल ही में ब्रिटेन और अमेरिका और ब्रिटेन ने सैनोफी और उसके सहयोगी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन पीएलसी से वैक्सीन की आपूर्ति पर करार किया है। वहीं, दूसरी ओर जापान और फाइजर इंक के बीच भी नई साझेदारी हुई है।

हालांकि इस मसले पर अदार पूनावाला की राय अलग है। उनका कहना है कि हमारा फोकस गरीब देशों पर होगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया छह माह से जारी है और हम इसे जल्द खत्म करना चाहते हैं। अदार को ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के सफल होने की 70-80 फीसदी उम्मीद है।

ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के लिए उसकी प्रमुख भागीदार एस्ट्राजेनेका कंपनी है। उसने अमेरिका, यूरोप और अन्य स्थानों पर वैक्सीन बनाने के लिए 7500 करोड़ रुपए से ज्यादा का करार किया है। सीरम इंस्टीट्यूट भी वैक्सीन तैयार करेगी। लेकिन अंतर यह है कि कंपनी प्रोडक्शन का पूरा खर्च उठा रही है।

मालूम हो कि भारत में आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा निर्मित COVAXIN के अलावा जायडस कैडिला की वैक्सीन का भी ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। वहीं ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन का भी उत्पादन यहां होने वाला है। ऐसे में भारत में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर चिंता करने वाली बात नहीं है। सबकुछ ठीक रहा तो भारत में जल्द ही आम लोगों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध होगी।

 

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