लखनऊ। समाजवादी पार्टी में चल रही कलह लगभग खत्म हो चुकी है। पार्टी चिन्ह की लड़ाई जीतने के बाद पार्टी कमान सीएम अखिलेश के होथों में है। अब सबकी नजरें टिकीं हैं काग्रेंस के साथ सपा के गठबंधन पर। सपा-कांग्रेस गठबंधन तय है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अजीत सिंह की आरएलडी पार्टी में सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही वार्ता की वजह से गठबंधन की घोषणा में देरी हो रही है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने घोषणा की थी कि वे यूपी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे।
खबरों के मुताबिक पार्टियों ने एक दूसरे को ऐसी सीटों की लिस्ट सौंपी है, जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी ने ऐसी 290 सीटों को चुना है। अभी दोनों पार्टियों की लिस्ट में 15 ऐसी सीटों के नाम हैं, जिन पर कोई समझौता नहीं हो सकता। दोनों पार्टियों के सूत्रों ने पुष्टि की है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस के लिए 80-85 सीटें छोड़ने को तैयार थी। खबरों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी इस आंकड़े को 100 तक ले जाना चाहती थी। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि ‘हमें हमारी मर्जी से सीटें नहीं मिल रही हैं।’
बताया जा रहा है कि पार्टी को बताया गया है कि पहले और दूसरे चरण में जिन 140 सीटों पर चुनाव होंगे, उनमें से 40 सीटें उन्हें मिलेंगी। ऐसे में पार्टी ने उम्मीदवारों की पहचान करनी शुरू कर दी है। इन 40 सीटों में से कांग्रेस के पास पांच वर्तमान विधायक हैं। कांग्रेस ने लखनऊ कैंट सीट के लिए भी दावा किया है। यह सीट पिछली बार रीता बहुगुणा ने जीती थीं, जो कि अब भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं। कुछ महीने पहले समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव को इस सीट से उम्मीदवार घोषित किया था।
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