हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान की अर्चना कर दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। हमारे घर के बड़े भी किसी शुभ कार्य को करने से पहले कहते हैं कि मंदिर में दीपक जरूर जला देना।
माना जाता है कि ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपक प्रकाश का प्रतीक है और सूर्यदेव का प्रतिनिधित्व करता है। दीपक को प्रज्ज्वलित करने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उनकी मौजूदगी में किए गए कार्य अवश्य सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्वों में से अग्नि भी एक है। दूसरा अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। इसलिए देवी-देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केंद्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है।
दीपक से हमें ऊंचा उठने की प्रेरणा मिलती है। दीप ज्योति से पापों का क्षय होता है। शत्रुपक्ष शांत होता है। आयु, आरोग्य, पुण्य, सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि दीपक सदैव विषम संख्या में प्रज्ज्वलित करने चाहिए। दीपक ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप में ही सब जगह व्याप्त है। इसलिए प्रकाश की पूजा को ही परमात्मा की पूजा कहा जाता है।
मंदिर में आरती के समय दीपक प्रज्ज्वलित करने के पीछे यही उद्देश्य होता है कि प्रभु हमारा मन प्रकाश की ओर ले चलें। घी के दीपक से आरती करने से घर में लक्ष्मी मां का स्थाई रूप से निवास होता है। गाय के दूध से बने घी में रोगाणुओं को दूर करने की क्षमता अधिक होती है। यह घी अग्नि के संपर्क में आते ही पूरे वातावरण को पवित्र बना देता है।