दिल्ली समेत पूरे देश में सूर्य ग्रहण लग गया है। नेहरू तारामंडल से लोग सूर्यग्रहण का नजारा देख रहे हैं। यह सूर्य ग्रहण पूरे भारत के साथ ही यूरोप, हिंद महासागर, प्रशात महासागर, मध्य एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर भाग में भी दिखाई दे रहा है।
सुबह 10 बजकर 20 से शुरू हुआ सूर्य ग्रहण तीन बजकर 5 मिनट तक दिखाई देगा। दोपहर 12 बजकर 10 दिन पर पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण की वजह से चांदनी चौक स्थित श्री शिव नवग्रह मंदिर समेत अन्य मंदिर बंद हैं। जबकि पूर्वी दिल्ली में ब्रह्नपुरी स्थित इस्लामिया मस्जिद में सूर्य ग्रहण को लेकर विशेष नमाज पढ़ी गई।
वहीं, दक्षिणी दिल्ली में स्थित कालका पीठ के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि दिल्ली में सूर्य ग्रहण रविवार सुबह 10:20 से शुरू होकर दोपहर में एक बजकर 48 मिनट और तीस सेकेंड तक रहेगा। इसका सूतक 12 घंटे पहले शनिवार रात के 10:20 से शुरू हो गया था।
5-7 मिनट दिन छा जाएगा अंधेरा
आज सूर्य ग्रहण कई मामलों में खास होगा। इससे पहले इस तरह का अद्भूत दृश्य साल 1996 में देखने को मिला था। रविवार दोपहर 12.01 पर पूर्ण सूर्यग्रहण में ऐसी स्थिति हो जाएगी कि दिन में भी अंधेरा छा जाएगा। धीरे-धीरे सूर्य के सामने चंद्रमा आने लगेगा। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में सूर्यग्रहण के वक्त दिन में ही पांच से सात मिनट तक अंधेरा छा जाएगा। दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल की निदेशक रत्ना श्री ने लोगों से अपील की है कि वह सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से न देखें। सूर्य की किरणों से बचाव वाले चश्में के साथ देखें।
क्या करें क्या न करें
महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को सब्जी काटने से लेकर रसोई और घर का कोई काम नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण से पहले या बाद में ही सभी लोगों को कार्य करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के समय सभी लोग भगवान के नाम का जाप करें, वहीं इसे नंगी आखों से कोई न देखे।
महंत ने बताया कि सूर्यग्रहण के अवसर पर कालकाजी मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खुले रहेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व का एकमात्र मा कालका का यही मंदिर है जहा चाहे सूर्यग्रहण हो या चंद्रग्रहण मा अपने भक्तों को पुत्ररूपी दोनों देवों का आश्रय देकर ग्रहणकाल में उनकी रक्षा करती हैं। मां कालका स्वयं काल की स्वामिनी हैं। ऐसे में वे अपने पुत्र सूर्यदेव को विपदा में अकेला कैसे छोड़ सकती हैं। सूर्यदेव के आश्रय के साथ यदि भक्त मंदिर आकर मा कालका के दर्शन करते हैं तो मा स्वयं उनकी भी रक्षा करती हैं।