चीन सीमा से चल रही तनातनी के बीच खबर है कि एलएसी से सटे एयर स्पेस में नौसेना के टोही विमान, पी8आई को तैनात किया गया है. समंदर में कई सौ मीटर नीचे पनडुब्बी की ‘हंटिंग’ करने वाले इस अमेरिकी विमान को चीनी सेना की तैनाती और मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए तैनात किया गया है.
इंडीपेंडेंट फ्लाईट ट्रैकिंग वेबसाइट्स ने भारतीय नौसेना के पी8आई एयरक्राफ्ट की फ्लाईट लद्दाख और हिमाचल से सटी चीन सीमा के पास ट्रैक किया है.
सीमा पर चीन से चल रहे टकराव के बीच पी8आई की तैनाती बेहद अहम है, क्योंकि वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी नौसेना के इस विमान को चीन से सटी एयर स्पेस में तैनात किया गया था.
कुछ महीने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने इस बात का खुलासा किया था. डोकलाम विवाद के वक्त जनरल रावत थलसेना प्रमुख के पद पर थे.
दरअसल, अमेरिका के इस लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनेसेंस एयरक्राफ्ट में खास इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर्स लगे हैं जो आसमान से ही 25-30 हजार फीट नीचे जमीन पर चल रही सारी गतिविधियों की तस्वीरें कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को रियल टाइम में मुहैया करा देता है. इससे हजारों मील दूर बैठ सैन्य कमांडर्स को दुश्मन की हर मूवमेंट के बारे में जानकारी रहती है.
पी8आई यानि ‘पोसाइडन-8 (इंडिया)’ की खासयित ये है कि जमीन पर कितने पैदल सैनिक ड्रिल कर रहे हैं, ये उस तक की जानकारी दे देता है. इसीलिए इस टोही विमान को चीन से सटी एयर स्पेस में तैनात किया गया है, क्योंकि लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चीन की सेना गलवान घाटी और लद्दाख सहित हिमाचल प्रदेश में भी अपनी मूवमेंट एलएसी के करीब कर रही है.
सैटेलाइट इमेज भी चीनी सेना की लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर लगातार बढ़ रही गतिविधियों की तरफ इशारा कर रही हैं.
आपको बता दें कि भारतीय नौसेना ने वर्ष 2012 में अमेरिकी की बोइंग कंपनी से 8 पीआई विमान खरीदे थे. बोइंग ने अपने 737 एयरक्राफ्ट को टॉरपीडो से लैस कर इन एयरक्राफ्ट को तैयार किया था.
ये एयरक्राफ्ट समंदर में सबमरीन ‘हंटिंग’ के काम आते हैं. समंदर के नीचे कई सौ मीटर नीचे ऑपरेट कर रही पनडुब्बी को भी पी8आई डिटेक्ट कर लेता है और जरूरत पड़ने पर टॉरपीडो लांच कर सबमरीन को तबाह कर सकता है.
भारतीय नौसेना ने अपने इन ‘हंटर्स’ को तमिलनाडु के अराकोनम नेवल एयर बेस, आईएनएस रजाली पर तैनात कर रखा है. हाल ही में नौसेना ने चार और पी8आई एयरक्राफ्ट खरीने का ऑर्डर दिया था. ऐसे में अब नौसेना के जंगी बेड़े में 12 ऐसे एयरक्राफ्ट हो जाएंगे.