भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से कथित तौर पर ‘भाजपा’ हटा दिया है। इसके स्थान पर उन्होंने जनता का सेवक और क्रिकेट प्रेमी लिखा है।
इसके बाद से चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सिंधिया ने अपने प्रोफाइल में भाजपा जोड़ा ही नहीं था। हालांकि इसपर भाजपा या सिंधिया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।18 सालों तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद सिंधिया ने होली के दिन भाजपा का दामन थामा था।
पार्टी में उनके आने के बाद उनके समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल करने और उन्हें केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि उनके समर्थक पूर्व विधायकों को उपचुनाव का टिकट मिलने में परेशानी हो रही है।
शिवराज चौहान की कैबिनेट को लेकर कई बार संभावित तारीखों का अनौपचारिक एलान किया गया है। प्रदेश संगठन के साथ मुख्यमंत्री ने संभावित मंत्रियों की लिस्ट तैयार की, जो मीडिया में लीक हो गई लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया।
मोदी कैबिनेट में सिंधिया को शामिल करने की भी चर्चा अब कम ही सुनाई देती है। हालांकि पार्टी में उनकी एंट्री को ग्वालियर-चंबल संभाग में उनके समर्थकों ने काफी जोर-शोर से प्रचारित किया था।
भाजपा ने उपचुनाव में सिंधिया समर्थक सभी 22 विधायकों को टिकट देने का वादा किया है लेकिन इसमें परेशानी आ रही है। कई सीटों पर पार्टी को अपने पुराने नेताओं की बगावत देखने को मिल रही है।
हाटपिपल्या में दीपक जोशी हों या ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस में शामिल हो चुके बालेंदु शुक्ला, पार्टी के लिए अपने नेताओं को मनाना मुश्किल हो रहा है। कुछ सीटों पर सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों की जीत को लेकर संशय की बातें भी सामने आ रही हैं।
वहीं सिंधिया या उनके समर्थकों की तरफ से अभी तक किसी तरह के असंतोष की खबरें सामने नहीं आई हैं लेकिन दबी जुबान में लोग सिंधिया को कमतर आंकने की बात कर रहे हैं।
यदि ट्विटर प्रोफाइल से भाजपा हटाने के दावे सच हैं तो इसे सिंधिया का राजनीतिक दबाव माना जा सकता है। खासतौर से इसलिए क्योंकि कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी प्रोफाइल से पार्टी का नाम हटा लिया था।