पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों की अब न सिर्फ तस्वीर बदलेगी, बल्कि वहां खुशहाली भी लौटेगी। विधानसभा में बुधवार को पेश राज्य के वर्ष 2020-21 के बजट में पलायन थामने पर खास फोकस किया गया है। इसके लिए जहां विभिन्न विभागों के माध्यम से तमाम योजनाएं संचालित की जाएंगी, वहीं रिवर्स पलायन को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
पलायन की रोकथाम के उपायों में बजट की कमी न आए, इसके लिए प्रस्तावित मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में पलायन प्रकोष्ठ गठित करने के साथ ही इस योजना में 18 करोड़ के बजट का प्रविधान भी किया गया है। पलायनग्रस्त गांवों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि को लाभकारी बनाने के उपायों को लेकर भी सरकार ने प्रतिबद्धता जताई है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि पलायन रोकने और माटी छोड़कर गए लोगों को वापस घर लाने की मुहिम तेजी पकड़ेगी।
उत्तराखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आया है। पलायन आयोग की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो अब तक 1702 गांव पलायन के चलते वीरान हो चुके हैं। 500 से ज्यादा गांवों में आबादी 50 फीसद से भी कम रह गई है। इसके साथ ही पलायन का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
आयोग की रिपोर्ट बताती है कि राज्य के गांवों से मजबूरी का पलायन सबसे अधिक है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण बेहतर भविष्य की तलाश में पलायन हो रहा है। हालांकि, ऐसे लोग भी हैं, जो रिवर्स पलायन कर वापस पहाड़ लौटे हैं और यहां कारोबार कर अन्य को भी रोजगार दे रहे हैं।
इस सबको देखते हुए मौजूदा सरकार ने पलायन थामने के उपायों पर फोकस करने के साथ ही वहां विभिन्न विभागों को जोड़कर उनकी योजनाएं संचालित करने का निश्चय किया है। साथ ही रिवर्स पलायन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की ठानी है।
बजट में प्रस्तावित मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में पलायन प्रकोष्ठ का गठन करने के साथ ही इसमें 18 करोड़ के बजट के प्रविधान का प्रस्ताव है। इसके साथ ही राज्य के सभी विशेषकर पलायन प्रभावित गांवों में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 15 करोड़ का प्रविधान दर्शाता है कि सरकार ने पहाड़ की पीड़ा को समझा है।
इसके साथ ही आजीविका मिशन में भी क्लस्टर आधार पर स्वयं सहायता समूहों के गठन, महिला सशक्तीकरण, रोजगार व स्वरोजगार के अवसर सृजित करने को ग्रोथ सेंटरों का तेजी से विकास और सभी 670 न्याय पंचायतों में इनकी स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया गया है। खेती-किसानी की तस्वीर संवारने और उनकी आय दोगुना करने कई कार्यक्रम व योजनाओं का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही पहाड़ में सड़कों का जाल बिछाने समेत मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।