विभिन्न कारणों के चलते बीच में पढ़ाई बालिकाओं द्वारा पढ़ाई छोड़ने के मामले में मध्यप्रदेश देश के शीर्ष पांच राज्यों में शुमार है। यह खुलासा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है। मालूम हो कि प्रदेश सरकार बेटियों को बढ़ाने के नाम पर कई योजनाएं चला रही है, जिसमें स्कूल जाने के लिए साइकल सहित छात्रवृत्ति व अन्य सुविधाएं भी है। इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है। स्थिति यह है कि कई बड़े और बराबरी के राज्यों में भी यह प्रतिशत प्रदेश की तुलना में बेहद कम है। खासबात यह है कि स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री भी इस स्थिति को मान रहे हैं और अब इसमें कमी लाने की बात कह रहे हैं।
यूपी की स्थिति हमसे बेहतर
रिपोर्ट में देश के विभिन्ना राज्यों में पढ़ाई बीच में छोड़ने वाली बालिकाओं का प्रतिशत दिया गया है। बड़े राज्यों की बात करें तो उत्तरप्रदेश की स्थिति मप्र से खासी बेहतर है। वर्ष 2015 में जहां यूपी में माध्यमिक स्तर पर ऐसी बालिकाओं का प्रतिशत 10 था, तो मप्र में यह 26 रहा। कभी मप्र में शामिल रहा छत्तीसगढ़ भी इस मामले में बेहतर स्थिति में है। यहां भी माध्यमिक स्तर पर यह प्रतिशत 19 ही है। महाराष्ट्र में यह 12.58 है तो राजस्थान में 13.40 प्रतिशत।
एक साल में आई आंशिक कमी
वर्ष 2013 के बाद बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली बालिकाओं की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ, लेकिन वर्ष 2015 में 2014 की तुलना में थोड़ी कमी आई, लेकिन इसके बावजूद यह प्रतिशत देश में शीर्ष रहा। यह रिपोर्ट यूडाइज के द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। इसमें तीन सालों की स्थिति का विवरण दिया हुआ है।
मप्र में प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वाली बालिकाओं का प्रतिशत
कम करेंगे प्रतिशत
यह सही है कि ड्रॉप आउट का प्रतिशत ज्यादा है, लेकिन हम इसे कम करने लगातार प्रयास कर रहे हैं। स्कूल चलो को अभियान नहीं, अब जनआंदोलन बनाया गया है। नए हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खोले जा रहे हैं। टीचर्स की कमी को भी पूरा करेंगे।- दीपक जोशी, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री