भारत के चंद्रयान-2 मिशन को लेकर पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी और पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने मजाक उड़ाया।
अब पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्री नमीरा सलीम और पाकिस्तान के वैज्ञानिक और पूर्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री रह चुके डॉक्टर अता-उर-रहमान ने देश के नेताओं और सेना के प्रवक्ता को लताड़ लगाते हुए कहा कि इस्लामाबाद को इसरो से सीखना चाहिए।
पाकिस्तान भारत से दशकों पीछे
डॉक्टर अता-उर-रहमान ने ट्विटर पर चंद्रयान-2 पर तंज कसने वालों को नसीहत दी। उन्होंने ट्वीट में कहा कि भारत के चंद्र मिशन की ‘असफलता’ की आलोचना बहुत ही गलत है। लक्ष्य के इतने करीब आना अपने आप में बहुत बड़ी तकनीकी उपलब्धि है।
पाकिस्तान उनसे दशकों पीछे है। भारत की असफलता पर जश्न मनाने की जगह हमें जागने और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में निवेश करने की जरूरत है। जागो पाकिस्तान।
Critics of India regarding "failure" of moon mission are so wrong. It was still a huge technological achievement to have come so close. Pakistan is decades behind. We need to rise and invest in Space Science instead of rejoicing on the Indian failure. Wake up Pakistan!!!!
— Atta-ur-Rahman (@1964atta) September 7, 2019
पाकिस्तान को जागने की जरूरत
डॉ. अता-उर-रहमान ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा है कि भारत का चंद्रयान-2 मिशन से पाकिस्तान को जागने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता क्योंकि कई उन्नत तकनीक वाले देशों के भी इस प्रकार के मिशन असफल हुए हैं।
रहमान ने कहा कि सफल और असफल होना इस प्रकार के मिशन का हिस्सा है, लेकिन जो अंतिम समय तक प्रयास जारी रखता है, वह ही सफल होता है।
सफलता और असफलता मिशन का हिस्सा
उन्होंने कहा कि जिन देशों ने भी ऐसे मिशन किए हैं, उनके भी काफी संख्या में मिशन सफल हुए और काफी संख्या में असफल भी हुए। अता उर रहमान ने कहा कि इस तरह के मिशन में बहुत सारा पैसा लगाना ठीक नहीं है। यह सही दृष्टिकोण नहीं है क्योंकि इससे रक्षा और उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ता है।
ऐसे परीक्षणों से होता है तकनीक का विकास
रहमान ने कहा कि भारत जो कर रहा है, ठीक कर रहा है। हमें भी मंगल और चांद पर पहुंचने के लिए उनसे सीख लेनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि हमें चांद पर जाने की कोशिशें सिर्फ इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम भारत की बराबरी करना चाहते हैं बल्कि ऐसे परीक्षणों से तकनीक का विकास होता है, जिससे हमारे रक्षा और उद्योग के क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी।