आगरा बस हादसे से सबक लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी बसों को हाईटैक बनाने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी बसों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस बसों को बेड़े में शामिल करने का फैसला किया है. सरकार का दावा है कि इस नई तकनीक के इस्तेमाल के बाद बस हादसों में कमी आएगी.

हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (UPSRTC) अपनी 12,500 सरकारी बसों के बेड़े में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सिस्टम इंस्टॉल करने जा रही है. वहीं कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ने भी अपनी बसों में यह सिस्टम लगाने का फैसला किया है. कर्नाटक सरकार 500 बसों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल करेगी. वहीं दोनों सरकारों ने इन बसों का ट्रायल रन भी शुरू कर दिया है, जिसके नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम को बसों के फ्रंट बंपर में लगाया जाएगा, ताकि बसों की संभावित भिड़ंत को टाला जा सके. वहीं यह सिस्टम ड्राइवरों को नींद आने से पहले ही अलर्ट भी करेगा. उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि पिछले छह महीनों से निगम की छह बसों में यह पायलेट प्रोजेक्ट चल रहा है, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से लैस इन बसों के साथ कोई हादसा नहीं हुआ है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुंबई की स्टार्टअप कंपनी सिक्स्थ सेंसर टेक्नोलॉजी ने दोनों ही राज्यों की बसों के लिए यह सिस्टम बनाया है. कंपनी का कहना है कि बसों के फ्रंट बंपर में सेंसर लगाए गए हैं, जो 180 फीट तक की रेंज पर निगाह रखेगा और भिड़ंत के खतरे को देखते ही बस ड्राइवर को बीप के साथ चेतावनी देगा. वहीं दूसरा सेंसर हेडलाइट के हैंडल के पास लगाया है और जैसे ही ड्राइवर के ऊंघने की स्थिति में चेतावनी जारी करेगा.
सिस्टम को एक्टिव रखने के लिए ड्राइवर को नियमित अंतराल पर सेंसर के पास अपना हाथ दिखाते रहना होगा, जिसे कस्टमाइज्ड भी किया जा सकता है. वहीं ऐसा करने नहीं से सेंसर को लगेगा कि ड्राइवर सो रहा है और वह एक्टिव हो कर एक्सेलरेटर को कट-ऑफ कर देगा. वहीं जैसे ही ड्राइवर सेंसर के सामने अपना हाथ लेकर आएगा, एक्सेलरेटर काम करना शुरू कर देगा.
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