दिल्ली की एक निचली अदालत ने नाबालिग के साथ सहमति से संबंध बनाना भी अपराध माना है। कोर्ट ने 15 वर्षीय एक नाबालिक लड़की से दोस्ती करने के बाद उसका बलात्कार करने के मामले में 2 आरोपियों को अभियुक्त बनाया है। कोर्ट ने कहा है कि शारीरिक संबंध के लिए नाबालिग की सहमति का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए दोनों आरोपी नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के आरोपी हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उमेद सिंह ग्रेवाल ने दोनों अभियुक्तों परवेश राणा (30) और आशीष सेहरावत (41) को जेल की सजा दी है। जज ने बताया कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए नाबालिग की सहमति का कोई औचित्य नहीं है। नाबालिग लड़की से मित्रता कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना अपराध ही है, चाहे उसमें लड़की की सहमति हो या नहीं।
आईपीसी की धारा-375 के अनुसार, 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ उसकी सहमति से बनाया गया यौन संबंध रेप है। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि अभियोक्ता के साथ संबंध उसकी सहमति से बनाए गए। (रोहिणी और तिहाड़ जेल के अधीक्षकों की रिपोर्ट के मुताबिक) अभियुक्त परवेश राणा बिते 6 वर्ष से ज्यादा वक्त से जेल की सजा काट रहा है और आशीष करीब साढ़े 5 साल जेल में रहा।
कोर्ट ने बताया कि अभियुक्तों को अपने परिवार का भरण-पोषण करना है और वे पहले ही कई वर्ष जेल में सजा काट चुके हैं। इन तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने उन्हें जेल में बिता चुके वक्त के बराबर जेल की सजा सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने राणा पर 40 हजार और सेहरावत पर 60 हजार रुपये का फाइन भी लगाया। इस पैसे का 80 प्रतिशत भाग बतौर मुआवजा पीड़िता को दिए जाने का आदेश दिया है।