पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को अचानक सवर्ण समुदाय के लोगों की याद आई है. आखिरकार, उन्होंने पश्चिम बंगाल में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समुदाय के लोगों को 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है. आपको बता दें कि, लोकसभा चुनाव से पूर्व पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान में संशोधन कर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी.
उस वक़्त, पीएम मोदी का विरोध कर रही सीएम ममता बजर्नी ने पश्चिम बंगाल में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को यह आरक्षण देने से साफ़ मना कर दिया था. अब ममता के इस फैसले को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है कि सीएम ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार और आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है.
लोकसभा चुनाव से पहले आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने से साफ़ मुकर जाने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ममता बनर्जी को आखिरकार लागू करना ही पड़ा. सियासी गलियारों में चर्चा है कि पश्चिम बंगाल में खोते जनाधार को बचाने के लिए ममता बनर्जी ने यह सवर्ण कार्ड चला रहा है. वह केंद्र सरकार के फैसले को पश्चिम बंगाल में लागू करना, केवल नाराज सवर्ण समुदाय को मनाने का एक प्रयास मात्र है, जिसे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है.