नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, मूवी स्क्रीनिंग व फिल्म फेस्टिवल से पहले राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ को चलाना आवश्यक होगा और लोगों को इसके सम्मान में खड़ा होना भी आवश्यक होगा।
राष्ट्र गान के सम्मान में
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय गान से जुड़े एक अहम आदेश में कहा कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रीय गान जरूर बजेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा, तथा सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रीय गान के सम्मान में खड़ा होना होगा।
30 नवंबर थी तारीख
दीपक मिश्रा व अमिताभ राय वाली जजों की एक बेंच ने पाया कि इस आदेश के अनुसार 30 नवंबर तक यह नियम लागू हो गया था और इसमें छूट नहीं दी जा सकती थी क्योंकि फिल्म फेस्टिवल में कुछ विदेशी भी थे। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के एक आयोजक ने केरल में सुप्रीम कोर्ट के 30 नवंबर तक लागू होने वाले इस आदेश में छूट मांगी। जिसके पीछे उसने कारण दिया कि इससे वहां आने वाले 1,500 विदेशी आगंतुकों को असुविधा होगी।
सम्मान में समझौता नहीं
बेंच ने कहा,’केवल इसलिए हमें अपना आदेश वापस लेना चाहिए क्योंकि कुछ विदेशियों को थोड़ी सी मुश्किल का सामना करना होगा? विदेशियों के लिए हमें अपना आदेश वापस क्यों लेना चाहिए? यदि विभिन्न शोज में 40 मूवी चलायी जाएगी तो आपको 40 बार खड़ा होना होगा।‘ अदालत ने कहा, ‘चाहे आप राष्ट्रीय गान का सम्मान करें या न करें, क्या ये आजादी का मामला होना चाहिए? प्रत्येक देश अपने राष्ट्रीय गान के लिए गर्व महसूस करता है लेकिन हम समझ नहीं पा रहे कि जब हमने राष्ट्रीय गान के लिए ऐसा आदेश दिया है तो इतना विवाद क्यों शुरू हो गया है।‘
दिव्यांगों के लिए छूट
हालांकि बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिव्यांगों को खड़े होने की जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें राष्ट्रीय गान के प्रति सम्मान दिखाना होगा। कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए भी अपने आदेश को स्पष्ट कर दिया है। एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र सरकार 10 दिनों के भीतर निर्देश जारी करेगी जिसमें यह उल्लेख होगा कि विकलांग किस तरह राष्ट्रीय गान के प्रति सम्मान दर्शा सकेंगे।
राष्ट्र गान के दौरान दरवाजे हो बंद
बेंच ने अपने निर्देश में आगे बताया है कि राष्ट्रीय गान के बजने के दौरान सिनेमा हॉल के दरवाजे बंद रहेंगे ताकि किसी तरह का व्यवधान न उत्पन्न हो। साथ ही कोर्ट ने कहा,’दरवाजे बंद करने का यह मतलब नहीं कि इसकी चटकनी लगी हो जैसा कि उपहार सिनेमा हॉल कांड में था बल्कि उस दौरान लोगों का निकास और प्रवेश का प्रबंधन तरीके से हो सके।‘ 1997 उपहार सिनेमा हॉल कांड में 59 लोगों की मौत हो गयी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के दो जजों वाली एक बेंच ने थियेटरों के लिए सेफ्टी गाइडलाइंस जारी किया था।
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