संसद यानी जिसकी दहलीज़ के अंदर आज़ाद हिंदुस्तान की तक़दीर लिखी जाती है. वहां की कुर्सियों पर बैठ कर हमारे नेता हमारी खुशहाली, तरक्की और हमारी हिफाज़त के लिए तरह-तरह के कानून बनाते हैं. पर ज़रा सोचें. जिन्हें कानून के रिकार्ड में ही कानून का दुश्मन समझा जाता है, वहीं लोग इन कुर्सियों पर बैठ जाएं तो फिर देश में कानून की क्या शक्ल बनेगी? पर इस बार बाहुबलियों ने संसद भवन में दाखिल होने के लिए अपना खेल थोड़ा सा बदल लिया है. कानूनी रोक के चलते इस बार चुनावी मैदान में बहुत से बाहुबलियों ने अपनी-अपनी श्रीमती को उतार दिया है.

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