प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अभिनेता अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बातचीत की। इंटरव्यू से पहले अक्षय कुमार ने साफ किया कि वह राजनीति से हटकर प्रधानमंत्री के निजी जीवन से जुड़े पहलुओं पर बात करेंगे। प्रधानमंत्री ने अक्षय कुमार से बातचीत में कहा कि उन्हें आम खाना बहुत पसंद है, लेकिन उनहें पेड़ पर पके आम ज्यादा पसंद थे। हम आपको बता रहे ऐसे टॉप 10 सवाल जिनके जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने दिए।
1: सबसे पहला सवाल अक्षय ने पूछते हुए कहा कि उनके ड्राइवर की बेटी यह जानना चाहती है कि क्या प्रधानमंत्री आम खाते हैं, और खाते हैं तो काट के खाते हैं या गुठली सहित। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए जवाब कि मैं आम खाता हूं और मुझे यह बहुत पसंद है। गुजरात में आमरस की परंपरा भी है। जब मैं छोटा था तो पेड़ पर पकने वाले आम ही खाना पसंद था। जब बड़ा हुआ तो आमरस भी खाया। इसके अलावा आम भी कई किस्म के खाए। लेकिन अब कंट्रोल करना पड़ता है। सोचना पड़ता है कि खाऊं की नहीं।
2: अक्षर कुमार दूसरा सवाल पछते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री ने सोचा था कि वे प्रधानमंत्री बनेंगे। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह का कोई भी विचार उनके मन में पहले कभी नहीं आया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी पारिवारिक स्थिति कभी ऐसी नहीं रही कि ऐसी कोई इच्छा मेरे मन में आए। हां, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी हो, उनके मन में ऐसी इच्छा स्वाभाविक है।
3: अक्षय कुमार ने सवाल किया कि उन्होंने पढ़ा कि प्रधानमंत्री मोदी बचपन में फौज में जाना चाहते थे। इस प्रधानमंत्री ने हां कहा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जब फौज वाले निकलते थे तो उन्हें सैल्यूट कर देता था। बचपन में वह सेना में भर्ती होना चाहते थे। 1962 की लड़ाई के बाद फौज में जाने का मन था।
4: क्या आपको गुस्सा आता है अक्षय कुमार के इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कहता हूं कि मुझे गुस्सा नहीं आता है, तो बहुत सारे लोगों को आश्चर्य होता है। हालांकि नाराजगी और गुस्सा मनुष्य के स्वभाव का हिस्सा है, लेकिन मेरे जिंदगी के एक हिस्से में मेरी ऐसी ट्रेनिंग हुई थी कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में अपने लंबे करियर में ऐसा मौका कभी आया नहीं। मेरे अंदर गुस्सा होता होगा, लेकिन मैं इसे व्यक्त करने से रोकता हूं।
5: अक्षय कुमार से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह रामकृष्ण मिशन से प्रभावित थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उम्र के उस दौर में वह घंटों उस कमरे में बिताते थे, जहां स्वामी विवेकानंद रहते थे। उन्होंने कहा कि 18-20 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने दुनिया देखी। इस दौरान उन्हें कहीं से कोई मार्गदर्शन नहीं मिलता था, बल्कि वह खुद ही अपने सवालों का जवाब ढूंढ़ते।
6: अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि आप रामकृष्ण मिशन से प्रभावित रहे, स्वामी विवेकानंद के कमरे में चिंतन करते थे। तो क्या प्रधानमंत्री सन्यासी बन जाते। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वह क्या बनते क्या नहीं, यह नहीं पता। बस यूं ही मैं आगे बढ़ता रहा और ये सफर चलता रहा।
7: इंटरव्यू के दौरान अक्षय कुमार ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री को गुस्सा आता है। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा मैं कहता हूं कि मुझे गुस्सा नहीं आता है, तो बहुत सारे लोगों को आश्चर्य होता है। ईश्वर ने सभी को सब कुछ दिया है। नाराजगी और गुस्सा मनुष्य के स्वभाव का हिस्सा है। आपको तय करना है कि जो अच्छी चीजें हैं उन्हें आगे कैसे लाना है। लेकिन मेरे जिंदगी के एक हिस्से में मेरी ऐसी ट्रेनिंग हुई थी कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में अपने लंबे करियर में ऐसा मौका कभी आया नहीं। मेरे अंदर गुस्सा होता होगा, लेकिन मैं इसे व्यक्त करने से रोकता हूं।
8: अक्षय कुमार ने पूछा कि आपकी बाहर जो छवि है वह स्ट्रिक्ट प्रशासक की है। तो प्रधानमंत्री ने कहा कि स्ट्रिक्ट हूं डिसिप्लिन हूं। लेकिन मैं किसी को नीचा दिखाकर करके अपमानित करके काम नहीं करता है। मैं उसको प्रेरित करता हूं। कभी कोई चीज है तो मैं खुद हेल्पिंग हैंड बनकर खड़ा हो जाता हूं। मैं लोगों को सिखाता हूं और अपनी टीम बनाता चला जाता हूं।
9: अक्षय कुमार ने पूछा कि आपको मां, भाई परिवार वालों के साथ घर पर रहने का मन करता है क्या। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर मैं पीएम बनकर घर से निकलता तो शायद मन करता लेकिन मैं बहुत छोटी आयु में घर से निकला था, उसके बाद जिंदगी डिटैच हो गई। मेरी ट्रेनिंग उस तरह से हुई है। एक अवस्था में छोड़ना हो तो मुश्किल होती है। जिस वक्त घर छोड़ा था उस वक्त तकलीफ हुई होगी लेकिन अब जिंदगी वैसी बन गई।
10: अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्होंने एक मुलाकात में कुछ चुटकुले सुनाए थे तो क्या उनके अंदर ह्यूमर है। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी जो उनकी छवि बनाई गई है वो गलत है। मैं किसी पर दबाव बनाकर काम नहीं कराता। पहले के प्रधानमंत्री जल्दी ऑफिस से निकल जाते थे, लेकिन मुझे देर तक ऑफिस में देखकर मेरे कर्मचारियों में स्पिरिट बनती है और वर्क कल्चर डेवलप हो जाता है। स्ट्रिक्ट रहने से यह नहीं हो सकता है। हृयूमर आज भी है, लेकिन अब बयान को कहीं से भी उठाकर पेश कर दिया जाता है। हालांकि दोस्तों और जूनियर अफसरों के बीच चुटकुले बाजी होती रहती है।