सुप्रीम कोर्ट ने बंगाली फिल्म भविष्योत्तर भूत की स्क्रीनिंग रोकने की वजह से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर 20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. पिछले महीने ही कोर्ट ने सरकार को फिल्म की स्क्रीनिंग का निर्देश दिया था, जबकि राज्य सरकार की वजह से हुआ इसके उलट. अनिक दत्ता के निर्देशन में बनीं भविष्योत्तर भूत एक पॉलिटिकल सटायर ड्रामा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जुर्माने में मिली रकम प्रोड्यूसर और सिनेमाघरों के मालिकों को दिया जाएगा, क्योंकि उनके बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन किया गया है. यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि किसी भी व्यक्ति विशेष की अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया ना जाए. मगर, फिल्म की स्क्रीनिंग को बार-बार रोकने की कोशिश कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुकर गई.
फिल्म को इसी साल 15 फरवरी को रिलीज किया गया था, लेकिन राजनीतिक वजहों के चलते रिलीज के दूसरे दिन ही इसे पश्चिम बंगाल के सभी मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थिएटर्स से हटवा दिया गया. कोर्ट ने राज्य सरकार को सभी सिनेमाघर मालिकों को पैसा चुकाने का निर्देश दिया है.
निर्देशक अनिक दत्ता ने IANS को बताया कि उच्च अधिकारियों ने फिल्म की स्क्रीनिंक रोकने की पूरी कोशिश की थी. अब तक मुझे फिल्म की कैंसेलेशलन से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है.
लेकिन इस दौरान मुझे फिल्मी क्षेत्र से जुड़े लोगों का पूरा सहयोग मिला. अनिक दत्ता ने पहले भी भविष्योत्तर भूत पर राज्य सरकार की ओर से बैन लगाने के निर्णय पर असंतोष जताया था.
सेंसर बोर्ड द्वारा बिना किसी मेजर काट छांट के फिल्म को पास करने के बावजूद फिल्म की स्क्रीनिंग में कई रुकावटें पैदा की गई. निर्देशक अनिक ने कहा कि फिल्म को चलाने के लिए सिनेमाघरों के मालिक जिम्मेदार हैं और उन्हें फिल्म चलाने का निर्देश देने वालों से मैं इसका जवाब चाहता हूं.
इसी दौरान फिल्म में अहम किरदार निभाने वाले अभिनेता कौशिक सेन ने भी फिल्म पर बैन और सरकार को लेकर अपना रोष जाहिर किया था.
उन्होंने कहा था कि फिल्म में बिना किसी पॉलिटिकल पार्टी का नाम लिए उनकी आलोचना की गई है. जब किसी पार्टी का नाम ही नहीं लिया गया तो फिर यह असहिष्णुता का मुद्दा कैसे बन सकता है.बता दें कि फिल्म की कहानी एक राजनेता समेत भूतों के समूह के चारों ओर घूमती है जो कि एक शरणार्थी शिविर में इकट्ठा होते हैं और यहीं से घटनाओं का क्रम शुरू होता है. वैसे मतदान के समय इस तरह की खबरों से कहीं ममता बनर्जी के वोट बैंक पर असर ना हो.