राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने धर्म से जुड़े मामलों में फैसला करने के दौरान अदालतों को धार्मिक तथ्यों को ध्यान में रखने की सलाह दी। सबरीमाला मंदिर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद किसी पक्ष को यह नहीं लगना चाहिए कि इसमें किसी तथ्य की अनदेखी हुई है। संघ मुख्यालय में गुरुवार को शिक्षाविदों के साथ संवाद में अदालतों के फैसलों को लेकर भी चर्चा हुई। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि धर्म से जुड़े मामलों में फैसलों में धार्मिक भावनाओं और तथ्यों का ख्याल नहीं रखा जा रहा। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने के फैसले को लेकर लोगों में मतभेद है। धार्मिक जानकारों का कहना है कि विषय को पूरी तरह समझा ही नहीं गया। मामले में धार्मिक मान्यताओं, पहलुओं व तथ्यों को नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर के ब्रह्मचर्य मंदिर वाले हिस्से में विशेष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। जिस महिला का प्रवेश दिखाकर भ्रम फैलाया जा रहा है, वो भारतीय नहीं थी। श्रीलंका की ईसाई धर्म की महिला के मंदिर में प्रवेश को लेकर गलत तस्वीर पेश की जा रही है,जबकि हिन्दू महिलाएं स्वयं प्रवेश का विरोध कर रही हैं। दूसरी ओर ब्रिटेन में धार्मिक विषयों से जुड़े मामलों में फैसला देने से पहले अदालतें धार्मिक विषयों के जानकारों और चर्च के प्रतिनिधियों का पक्ष जरूर लेती हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि विदेशों में चर्च तेजी से खत्म हो रहे हैं। उनके स्थान पर वहां के लोग मंदिर बना रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि ये विचार सभी देश मानने लगे हैं कि जहां हिन्दू मंदिर हैं, वहां का वातावरण समृद्ध और शांतिमय हो जाता है। पूरे विश्व में हिन्दू जीवन दर्शन की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
‘जनसंख्या नियंत्रण बेहद जरूरी’
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नये सिरे से विचार करने पर जोर दिया। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को राष्ट्र के संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी बताया। साथ ही कहा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या से संसाधनों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी विश्लेषण होना चाहिए। आरएसएस मुख्यालय में गुरुवार को कुलपतियों के साथ बातचीत में भागवत बोले कि समय के साथ बदलाव जरूरी हैं। पूर्व की व्यवस्थाओं में मौजूदा जरूरतों के हिसाब से संशोधन होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने और हर नागरिक के लिए खाद्य पदार्थों की बेहतर उपलब्धता के लिए भी जनसंख्या नियंत्रण बेहद जरूरी है। संघ प्रमुख ने कहा-जनसंख्या बैलेंस रहेगी, तभी राष्ट्र के हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। स्वास्थ्य क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि समाज के सभी वर्ग राष्ट्र हित में इस दिशा में ऊपर उठकर सोचें।
संयुक्त परिवार हैं भारत की मजबूती का आधार
राजधानी में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक परिवारों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संयुक्त परिवार व्यवस्था को देश की मजबूती का आधार बताया। उन्होंने कहा कि परिवार से ही मजबूत समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। इसी व्यवस्था के चलते भारत आर्थिक मंदी में भी मजबूती से खड़ा रहा। हरिद्वार बाईपास स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित परिवार सम्मेलन में संघ प्रमुख ने परिवारों को आधुनिकता के दुष्प्रभावों से बचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा की परिवार आत्मीयता के आधार पर चलता है। भारत ने हमेशा इसी मजबूत परिवार व्यवस्था के सहारे युगों-युगों से हर संकट से पार पाने में सफलता पाई। औरंगजेब भी मजबूत परिवार व्यवस्था के चलते हमारे स्वाभिमान को डिगा नहीं पाया। परिवार का मतलब सिर्फ अपना घर नहीं, बल्कि एक मजबूत परिवार से एक मजबूत समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। परिवार राष्ट्र सुरक्षा की मजबूत इकाई है। बच्चों की शिक्षा और संस्कार का एक बड़ा माध्यम है परिवार। ऐसे में यदि राष्ट्र को मजबूत करना है, तो परिवार को मजबूत करें।
व्हाट्सअप छोड़ परिवार के साथ गुजारें समय
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से कहा कि अंग्रेजी को जरूर सीखें, लेकिन हिंदी को भूलकर नहीं। उन्होंने कहा कि बच्चों को अपनी भाषा, वेशभूषा, ऐतिहासिक और पौराणिक स्थानों की जानकारी जरूर दें। क्योंकि अपनी इन्हीं धरोहरों से हमारा मान सम्मान है। मोबाइल व्हाट्सअप छोड़ अपने परिवार के साथ जरूर समय गुजारें।