बताया जाता है कि कुंभ में ये कांटों वाले बाबा कई सालों से अपने पाप का प्रायश्चित कर रहे हैं। बाबा का कहना है कि जब वह 18 साल के थे तब उन्होंने गलती से गौ हत्या कर दी थी, जिसके बाद से वह प्रायश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांटों वाले बाबा का कहना है कि वह माघ मेले और कुंभ के दौरान में प्रयागराज जरूर आते हैं। इस दौरान चढ़ावे में उन्हें जो भी धन प्राप्त होता है, उसको वह मथुरा में गायों की देख-रेख में इस्तेमाल कर लेते हैं।