एक साल की दुधमुंही बच्ची के हाथ-पैर कुछ औरतें पकड़तीं हैं और एक चाकू या ब्लेड से उसकी भगनासा ((क्लाइटोरल हुड) काट देती है। खून से लथपथ बच्ची महीनों तक दर्द से तड़फती रहती है। यदि वो भाग्यशाली होती और पैसे वाले घर की होती तो यही काम डॉक्टर एनेस्थीसिया देकर करता। एक साल से लेकर चार से पांच साल तक की बच्चियों की योनी की पूरी भगनासा (क्लाइटोरल हुड ) को काट के फेंक दिया जाता है। या फिर भगनासा और उसके आसपास के भगोष्ठ को बुरी तरह से छील दिया जाता है। कई बार इस से बच्चियों की मौत भी हो जाती है। स्त्रियों के खतना का यह बेहद क्रूर,दर्दनाक और अमानवीय बहुत प्राचीन रिवाज अफ्रिका महाद्वीप के मिस्र, केन्या, यूगांडा,इरीट्रिया जैसे बीसों देशों में यह परम्परा सदियों से चली आ रही है।
क्या है खतना
रिवाज और प्रथाओं के नाम पर अमानवीयता तो आये दिन सामने आती ही रहती है, परन्तु यह करतूत आपको हैरत में डाल देगी. ” खतना ” नाम की यह प्रथा अत्यंत क्रूर और अमानवीय ही नहीं वरन उस समाज और देश के कानून और संविधान की भी खिल्ली उडाता नज़र आता है। महिलाओं और पुरुष दोनों में खतना होता है।
अफ्रीकी महिलाओं में एक कहावत मशहूर है कि लड़की को जिंदगी में तीन मौकों पर भीषण तकलीफ से गुजरना पड़ता है। पहला, जब वो लड़की छोटी होती है और उसका खतना किया जाता है, दूसरा, शादी के बाद सुहागरात और तीसरा मौका जब वो संतान को जन्म देती है। यहां ध्यान रखें कि हम उन महिलाओं की बात कर रहे हैं, खतना के बाद जिनकी योनि का प्रवेशद्वार सिलकर बंद कर दिया जाता है. बस एक छोटा सा रास्ता खुला रखा जाता है, जिससे मूत्रत्याग और मासिक धर्म का स्त्राव रिस कर बाहर आ सके। लड़कियों का खतना करने के पीछे एक संकीर्ण पुरुषवादी मानसिकता जिम्मेदार है कि वो लड़की युवा होने पर अपने प्रेमी के साथ यौन संबंध न बना सके। पहला बच्चा होने के बाद पति अपनी पत्नी को अपनी योनि फिर से सिलवाकर बंद करने के लिए बाध्य करता है, ताकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ संसर्ग न कर सके।
छोटी बच्चिओं के गुप्तांगो की सुन्नत की यह प्रथा मुस्लिम बोहरा मुस्लिम समुदाय के औरतों के लिये अभिशाप बन चुकी हैं। स्त्रियों का खतना करने का यह रिवाज वैसे तो अफ्रीकी देशों में है, लेकिन इसका प्रचलन भारत के कुछ हिस्सों में भी है। अफ्रीका महाद्वीप के मिस्र, केन्या, यूगांडा, इरीट्रिया जैसे दर्जनों देशों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
स्त्री खतना में जिस अंग को छील कर हटाया जाता है ..दरअसल वह अंग ही स्त्री की मासिक धर्म और प्रसव पीड़ा को कम करता है..मासूम बच्चियां कई महीने तक दर्द से छटपटाती रहती हैं.लड़कियों का खतना होने के बाद उनके जननांगों में संक्रमण होने से बहुत से बच्चियों की मौत तक हो जाती है। कई लड़कियां मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द महसूस करती हैं। खतने का दुष्परिणाम ये निकलता है कि शादी के बाद पति से भी सेक्स संबंध बनाने में लड़की की रूचि कम हो जाती है,क्योंकि सहवास के दौरान उसे बहुत कष्ट होता है और उसे इस प्रक्रिया में कोई आनंद भी नहीं मिलता है।
बिना किसी चिकित्सकीय आवश्यकता के जननांगों के ऊपरी भाग को पूर्ण या आंशिक रूप से हटा देना या उसके साथ छेड़छाड़ करना खतना कहलाता है। यह भाग वास्तव में एक घुंडी होती है, जिसका कार्य ठीक वही होता है जो पुरुष जननांग की बढ़ी हुई चमड़ी का होता है। इसके कारण सहवास का माधुर्य बढ़ता है। यह खतना कई तरह से किया जाता है। कुछ लोगों का पूरा क्लाइटोरल हुड काटा गया था, और कुछ का सिर्फ चुना गया था। सबसे पहले इस प्रथा का विवरण हमें रोमन साम्राज्य और मिस्र की प्राचीन सभ्यता में मिलता है। मिस्र में फिरऔन के काल से ही इसका प्रचलन माना जाता है।