इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से यह जांच करने को कहा है कि क्या व्हाट्सऐप पेमेंट्स सर्विस ने रिजर्व बैंक नियमों और ग्राहकों की डेटा सुरक्षा नियमों को पूरा किया है. मंत्रालय ने NPCI से कहा कि वह ये जांच करे कि मोबाइल मैसेंजर ऐप ने अपनी सेवाओं का विस्तार करने से पहले रिजर्व बैंक नियमों और ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे.
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि MeitY ने NPCI से कहा है कि वह जांच करे कि व्हाट्सऐप पेमेंट्स रिजर्व बैंक की अनुमति के अनुरूप काम कर रही है. वह अपने डेटा को कहां स्टोर कर रही है. क्या सेवा का बड़ा संस्करण पेश करने से पहले उसकी मूल कंपनी फेसबुक ने उसके साथ डेटा साझा तो नहीं किए थे.
रिजर्व बैंक ने 5 अप्रैल, 2018 को कहा था सभी पेमेंट सिस्टम ऑपरेटरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पेमेंट से संबंधित आंकड़े सिर्फ भारत में स्टोर किए जाएं. उन्हें इसके अनुपालन के लिए छह महीने का समय दिया गया था.
गौरतलब है कि फेसबुक के स्वामित्व वाला WhatsApp भारत में अगले हफ्ते तक पेमेंट सर्विस लॉन्च कर सकता है. मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि बावजूद इसके पार्टनर्स पूरी तरह से तैयार नहीं हैं.
इस मैसेजिंग ऐप के पार्टनर्स की लिस्ट में HDFC बैंक, ICICI बैंक और Axis बैंक का नाम शामिल है. साथ ही सभी जरूरी तैयारियों के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो जाएगा. सभी ट्रांसफर्स इन्हीं पार्टनर्स के जरिए की जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि फेसबुक का लक्ष्य चारों पार्टनर्स के साथ मिलकर फुल रोलआउट का था, लेकिन मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर कंपनी ने तीन पार्टनर्स के साथ ही बाजार में उतरने का फैसला लिया है.
भारत में WhatsApp पेमेंट की एंट्री को WeChat से जोड़ा जा रहा है, जिसने चीन में मैसेजिंग से आगे बढ़ते हुए वहां पेमेंट्स को नया रूप दिया था. व्हाट्सऐप पे के पायलट वर्जन की शुरुआत फरवरी में 10 लाख यूजर्स के साथ की गई थी.
व्हाट्सऐप मैसेजिंग का उपयोग भारत में 20 करोड़ से भी ज्यादा लोग करते हैं. ये आंकड़ा अमेरिका की 60 प्रतिशत आबादी के बराबर है और पेटीएम के एक्टिव यूजर्स से 20 गुना ज्यादा है.
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