ईंधन के दामों में लगातार आग झरती तेजी से चिंतित केंद्र सरकार ने इसके मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए विचार -विमर्श किया है. खुदरा कीमतों को कम करने के स्थायी समाधान के तहत सरकार ओएनजीसी जैसे घरेलू तेल उत्पादकों के अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स लगाने का विचार कर रही है.
इस मामले के विशेषज्ञों के अनुसार यह इस तरह का टैक्स सेस के रूप में लागू किया जा सकता है और यह कच्चे तेल के भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाते ही प्रभावशील हो जाएगा. तेल उत्पादकों को 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव से ऊपर की किसी भी कमाई को टैक्स के रूप में देना होगा. इस वसूली से मिलने वाले राजस्व का उपयोग पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों की मदद के लिए किया जाएगा ताकि वे तेल की कीमतें को रोकने में समर्थ हों.
इसके अलावा ग्राहकों को तुरंत राहत देने के लिए इसे उत्पाद शुल्क में मामूली बदलाव या फिर खुदरा कीमतों में बड़ी कमी दिखाने के लिए राज्य सरकारों से भी बिक्री कर या वैट घटाने के लिए कहा जा सकता है.सूत्रों के अनुसार सरकार का विचार सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के तेल उत्पादकों पर सेस लगाने का है, ताकि सार्वजनिक तेल उत्पादकों द्वारा इसका विरोध नहीं किया जा सके. वैसे सरकार बढ़ीं कीमतों से निपटने के लिए स्थायी समाधान के विकल्प के रूप में विचार कर रही है.
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