दिल्ली-एनसीआर के भगोड़े रियल एस्टेट कारोबारी अथवा बिल्डरों के लिए नेपाल की सीमा से सटा बिहार का रक्सौल पनाहगाह बन गया है। आवासीय फ्लैट व व्यावसायिक प्रतिष्ठान दिलाने के एवज में लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर गिरफ्तारी से बचने के लिए बिल्डर दिल्ली-एनसीआर छोड़ रक्सौल के होटलों में अपना ठिकाना बना लेते हैं।
यहां की पुलिस जब उन्हें दबोचने जाती है तो वे नेपाल भाग जाते हैं। बिना स्थानीय थाना पुलिस को बताए होटलों से गिरफ्तार करने पर स्थानीय पुलिस मुल्जिमों की गिरफ्तारी की डीडी इंट्री अपने थाने में करवा लेती हैं। स्थानीय कोर्ट से चिकित्सा ग्राउंड पर ट्रांजिट जमानत मिल जाती है।
अर्थ इंफ्राटेक के भगोड़ा निदेशक विकास गुप्ता के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को रक्सौल में होटल मालिक, स्थानीय थाना पुलिस, सरकारी अस्पताल व स्थानीय अदालत के बीच गठजोड़ के संकेत मिले हैं।
स्थानीय अदालत द्वारा विकास गुप्ता को चार महीने के लिए ट्रांजिट जमानत दे देने पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को पत्र लिख इसे गलत निर्णय बताते हुए चुनौती देने के लिए अनुमति देने की मांग की।
इसपर गृह विभाग ने कानून मंत्रालय को पत्र भेज दिया। कानून विभाग ने बिहार सरकार के कानून सचिव को मामले से अवगत करा दिया है। ईओडब्ल्यू के अधिकारी के मुताबिक कानून सचिव उक्त मामले की देखरेख के लिए एडवोकेट जनरल नियुक्त करेंगे।
इसके बाद उनके जरिये ईओडब्ल्यू पटना हाई कोर्ट में रक्सौल के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के फैसले को रद करने के लिए याचिका दायर करेगी। पुलिस अधिकारी का कहना है कि पटना हाई कोर्ट मामले पर संज्ञान लेकर जांच करवाने अथवा अन्य निर्णय ले सकती है।
पुलिस के मुताबिक करीब 2000 लोगों से करोड़ों की ठगी के मामले में अर्थ इंफ्राटेक के निदेशकों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में 5, बाराखंभा थाने में 4, वसंतकुंज में एक व गुरुग्राम में भी ठगी व धोखाधड़ी के 12 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
उक्त मामले में ईओडब्ल्यू तीन निदेशक अतुल गुप्ता, अवधेश गोयल व रजनीश मित्तल को गिरफ्तार कर चुकी है। तीनों तिहाड़ जेल में बंद हैं। इन्हें हाई रिस्क मुल्जिम की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा पुलिस कंपनी के कुछ सेल्समैन बुशरा आलम व निशांत अरोड़ा को भी गिरफ्तार कर चुकी है।
बुशरा दरियागंज व निशांत साकेत का रहने वाला है। एमडी के साथ ठगी की साजिश में इन दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। निदेशक विकास गुप्ता को कोर्ट ने भगोड़ा करार दे दिया है। दिल्ली पुलिस ने बहुत मुश्किल से 20 मार्च को विकास को रक्सौल के राम गढ़वा स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तार करते ही होटल से गिरफ्तारी की सूचना स्थानीय पुलिस को दे दी गई। जिससे कुछ ही देर में थानाध्यक्ष होटल पहुंच गए। उन्होंने दिल्ली पुलिस से कहा कि विकास को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें सूचना क्यों नहीं दी गई? स्थानीय पुलिस मुल्जिम व दिल्ली पुलिस को लेकर थाने आ गई।
वहां डीडी इंट्री करा दी गई। डीडी इंट्री करने पर कानूनन मुल्जिम को स्थानीय कोर्ट में पेश करना होता है। पेशी से पहले विकास को मेडिकल के लिए जब सरकारी अस्पताल में ले जाया गया तो वहां तैनात डॉक्टरों को विकास के आने की पूर्व सूचना मिल चुकी थी।
डॉक्टरों ने विकास के रक्त के नमूने लेकर रक्तचाप व मधुमेह आदि कई बीमारी बता दी। विकास को कोर्ट में पेश करने पर मजिस्ट्रेट ने डॉक्टरी रिपोर्ट व उसके खिलाफ दर्ज सभी मामले की प्रति मांग ली। उसके बाद विकास को ट्रांजिट जमानत दे दी गई, जबकि दिल्ली पुलिस उसे लेकर दिल्ली आना चाह रही थी।