बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के लिए 28 मई को होने वाला जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव बेहद अहम हो गया है। यह सीट पार्टी के ही कब्जे में थी। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कद्दावर नेता तस्लीमुद्दीन के गढ़ रहे इस इलाके में अल्पसंख्यक वोटों की अच्छी तादाद है। यह चुनाव जदयू के प्रति उनके रुख को भी स्पष्ट कर देगा।
इसके अलावा, महागठबंधन से नाता तोडऩे के पश्चात यह दूसरा मौका होगा जब पार्टी जनता का सामना करेगी। पिछले दिनों जहानाबाद में हुए उपचुनाव में जदयू को हार का सामना करना पड़ा था। यहां राजद व जदयू के बीच कड़ी टक्कर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
तस्लीमुद्दीन के बेटे से होगा मुकाबला
जदयू ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, मगर इसके प्रत्याशी का सामना राजद के दिग्गज नेता एवं राजद सांसद रहे मो. तस्लीमुद्दीन के पुत्र शाहनवाज आलम से होगा। 2015 विधानसभा चुनाव में तस्लीमुद्दीन के दूसरे पुत्र सरफराज आलम ने जदयू के टिकट पर सीट जीती थी। तस्लीमुद्दीन के देहांत के कारण खाली हुई अररिया सीट पर हुए उपचुनाव में सरफराज आलम ने जीत दर्ज की है। चुनाव से ठीक पहले वे पाला बदल राजद में चले गए थे।
जोकीहाट में सरफराज को मिले थे सर्वाधिक वोट
दिलचस्प बात यह थी कि अररिया लोकसभा क्षेत्र के अधीन पडऩे वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से जोकीहाट ही ऐसी सीट थी जिसपर सरफराज आलम को लोकसभा उपचुनाव में सबसे अधिक वोट मिले थे। अररिया विधानसभा सीट में भी उन्हें लीड मिली थी, जबकि शेष चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के प्रदीप सिंह आगे थे। अब इसी जोकीहाट में जदयू प्रत्याशी का मुकाबला सरफराज आलम के भाई से है।
70 फीसद अल्पसंख्यक आबादी
जदयू के लिए वैसे यह अच्छी स्थिति है कि अररिया लोकसभा क्षेत्र की छह में से चार विधानसभा सीटें अभी राजग के कब्जे में है, जबकि एक पर कांग्रेस का कब्जा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, अररिया लोकसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाता 42.95 फीसद हैं, मगर जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में इनकी संख्या करीब 70 फीसद है।
जोकीहाट को सीमांचल क्षेत्र के अल्पसंख्यक मतदाताओं की राजनीतिक नब्ज भी माना जाता है। सीमांचल में अररिया के अलावा पूर्णिया, कटिहार एवं किशनगंज जिले आते हैं और इन जिलों में अल्पसंख्यक मतदाताओं की आबादी 40 फीसद से अधिक है।
जदयू के लिए चुनौती कड़ी
राजद के कद्दावर नेता रहे मो. तस्लीमुद्दीन की सीमांचल के अल्पसंख्यक वोट बैंक पर पकड़ रही। उनकी मौत के बाद उनके पुत्र ने विरासत की राजनीति संभालते हुए अररिया संसदीय सीट पर राजद के टिकट पर जीत दर्ज की। इस संसदीय सीट के अंदर शामिल जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में सरफराज को मिले सर्वाधिक वोट को देखते हुए जदयू के लिए जंग आसान नहीं है। उसके लिए इस सीट को बचाने की बड़ी चुनौती है।