मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने बुजुर्गों का सहारा

लखनऊ। एक उम्र होती है जब शरीर साथ नहीं देता। एक उम्र होती है जब तन और मन दोनों मेहनत- मशक्कत के दायरे से निकल कर आराम चाहते हैं। एक उम्र होती है जब आधी से ज्यादा जिंदगी गुजर चुकी होती है। जीवन का आखिरी पड़ाव दस्तक दे रहा होता है। इस उम्र को बुढ़ापा कहते हैं, और बुढ़ापे की दहलीज पार करने वालों को बुजुर्ग। इस उम्र में सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। उत्तर प्रदेश में ये सहारा बनने का काम किया है यहाँ के नौजवान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने। समाजवादी पार्टी सरकार में मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव ने बुजुर्ग लोगों की मदद के लिए इतने इंतजाम कर दिए हैं कि उनकी काफी आर्थिक सहायता हो रही है। मुख्यमंत्री ने 60 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों की सहायता के लिए पेंशन योजना शुरू कर लाखों वरिष्ठ नागरिकों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने बुजुर्गों का सहारा

अखिलेश यादव सरकार की समाजवादी पेंशन योजना ने 60 साल से ऊपर के अभावग्रस्त लोगों को बहुत बड़ा सहारा दिया है।

वास्तव में अखिलेश सरकार की पेंशन योजना ने प्रदेश के बुजुर्गों को जिंदगी में खुशियों के रंग भरे हैं। साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से किसी का मोहताज न होने का सहारा भी दिया है। इतना ही नहीं, सपा सरकार ने अशक्त एवं आर्थिक रूप से निर्बल वर्ग के बुजुर्गों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए पहले ही 400 रुपये वृद्धावस्था पेंशन की शुरुआत की, वहीँ उन्हें मनरेगा के तहत कम श्रम वाले कामों में वरीयता देने का भी फैसला किया। दरअसल वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने वरिष्ठ नागरिक नीति बनाई है। इसके तहत पेंशन सहित बहुत से प्रयास बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा के लिए किये गए हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई में 10 मंत्रियों की एक समिति बनाई गई है, जो समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी वरिष्ठ नागरिक नीति के क्रियान्वयन पर नजर रखेगी।

पेंशन योजना

बुजुर्गों के लिए सिर्फ पेंशन योजना ही नहीं, स्‍वास्‍थ्‍य और हेल्‍पलाइन जैसी अलग-अलग योजनाओं ने वरिष्‍ठ नागरिकों के चेहरे खुशियों से भर दिए हैं

अखिलेश के प्रयासों की हुई प्रशंसा

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनहित में जब ये फैसला लिया तभी से इसकी हर तरफ तारीफ़ शुरू हो गई थी। इस पेंशन योजना ने ऐसे बुजुर्गों की सहायता की है जो 60 साल की उम्र पार चुके हैं। ऐसे बुजुर्ग जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है, उनको 1000 रुपये पेंशन देने की योजना शुरू की गई है। ये राशि अधिकतम 1250 रुपए हो सकती है। ख़ास बात यह भी है कि पेंशन पाने वाले लाभार्थी को हर साल अप्रैल महीने में खुद के जीवित होने के प्रमाण पत्र के साथ श्रम कार्यालय में उपस्थिति होकर वेरीफिकेशन कराना पड़ेगा। अगर पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसकी पत्नी को ये पेंशन मिलेगी। लेकिन वो कोई पेंशन का लाभ न ले रही हो। अगर पति-पत्नी दोनो पंजीकृत श्रमिक हैं, तो ऐसी स्थिति में उनको सिर्फ अपनी पेंशन मिलेगी।

पेंशन योजना

पेंशनधारी की मृत्‍यु होने पर उसकी पत्‍नी को पेंशन का लाभ देकर सहारा देने की कोशिश उत्‍तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार कर रही है

पेंशन पाने के लिए ये हैं नियम

इस योजना का लाभ पाने के लिए जरूरी है कि आपका रजिस्ट्रेशन तीन साल पहले से श्रम विभाग में होना चाहिए। वहीं अप्लाई करने वाले का अंशदान भी उसमें जमा होना चाहिए। श्रम विभाग में हर साल 50 रुपये जमा होते हैं। इसी के अनुसार 3 साल का अंशदान होना जरूरी है। इसके अलावा आप यूपी के स्थाई निवासी होने चाहिए। किसी दूसरे बोर्ड या पेंशन योजना के सदस्य नहीं होने चाहिए।

पेंशन के लिए ऐसे करें आवेदन

60 साल की उम्र पूरी होने के 3 महीने पहले जहां के स्थाई निवासी हों, उस जिले के स्थानीय श्रम ऑफिस, तहसील या फिर ब्लॉक से एप्लीकेशन या पेंशन प्रार्थना पत्र लेकर यहीं जमा करें। अगर 60 साल के होने के बाद भी आवेदन करते हैं, तो आपको छूट देने का अधिकार समिति के पास होगा।

ये दस्तावेज हैं जरूरी

फॉर्म के साथ पहचान पत्र की फोटोकापी, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी, स्थाई निवास प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी। इसके अलावा एक एफिडिविट लगाना पड़ेगा जोकि प्रमाणित करेगा कि आप दूसरी योजना की पेंशन नहीं ले रहे हैं। खाता लाभार्थी के नाम पर ही होना चाहिए, जिसमें पेंशन जाएगी। आपका आवेदन जिला स्तर पर बनी 3 सदस्यीय समिति के सामने पेश किया जाएगा। इस समिति में डीएम और मुख्य विकास अधिकारी अध्यक्ष होंगे। जबकि अपर उप सहायक श्रमायुक्त सदस्य सचिव होगें और जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य होगें।

पेंशन योजना

उत्‍तर प्रदेश में 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने बुजुर्गों की सहायता और सुरक्षा के लिए कई कामयाब कोशिशें की हैं

बुजुर्गों के लिए हेल्पलाइन

बुजुर्गों की सहायता के लिए एक कदम यह भी उठाया गया है। इसके तहत रिटायर होने वाले दिन ही वरिष्ठ नागरिकों को ग्रेच्यूटी सहित सभी भुगतान सुनिश्चित कराए जाएंगे। वूमेन पावर लाइन की तरह अब बुजुर्गों के लिए राज्य स्तरीय हेल्प लाइन बनाई जाएगी। अकेले रहने वाले बुजुर्गों से बीट कांस्टेबल नियमित रूप से संपर्क करेंगे। वहीं राज्य स्तर पर वरिष्ठ नागरिक कल्याण निधि बनाने के साथ ही उन्हें फ्री कानूनी सहायता दी जाएगी। यूपी रोडवेज की बसों में सीनियर सिटीजन्स के लिए दो सीटें आरक्षित की जा रही हैं। किराए में भी छूट है।

स्कूलों में पढ़ा रहे बुजुर्गों की सेवा का पाठ

स्कूलों में बुजुर्गों की सेवा का पाठ पढ़ाने पर भी अखिलेश यादव ने ख़ास जोर दिया है। इसमें बच्चों और युवाओं को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं से परिचित कराया जाएगा, बल्कि यह भी बताया जाएगा कि पाठ्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के प्रति जागरूक करना तथा उनके प्रति आदर का भाव पेश करने संबंधी मूल्यपरक शिक्षा को शामिल किया जाएगा। वृद्धावस्था से संबंधित जानकारी एवं शिक्षा के लिए पठन सामग्री तैयार की जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों को भी उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित एवं जागरूक किया जाएगा।

वरिष्ठ नागरिकों को 400 रुपये वृद्धावस्था पेंशन

वृद्ध आश्रमों में वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क आवासीय सुविधा और भोजन उपलब्ध करने का इंतजाम भी सपा सरकार ने किया। ऐसे वृद्धाश्रमों में कम से कम 25 प्रतिशत सीटें बीपीएल श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित की जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों खासकर वृद्ध महिलाओं को निःशुल्क विधिक सहायता उनके निवास पर ही उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी अखिलेश सरकार ने की हैं। विभिन्न आवासीय योजनाओं में आरक्षण के अंतर्गत वरिष्ठ महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

बुजुर्ग हथकरघा बुनकरों पर भी मेहरबानी

अखिलेश सरकार ने बुजुर्ग हथकरघा बुनकरों के लिए भी महत्वपूर्ण सहायता के दरवाजे खोल दिए हैं। समाजवादी पेंशन योजना की तर्ज पर उन्हें भी पांच सौ रुपये मासिक पेंशन मुहैया कराई जाएगी। योजना का लाभ 50- 60 साल उम्र वाले दिव्यांग बुनकरों भी मिलेगा। दिव्यांगों को मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा जारी किया गया विकलांगता प्रमाण पत्र आवेदन के साथ लगाना होगा। इसके लिए सर्वे शुरू हो गया है। जल्द ही बुनकरों का चयन होगा। ‘समाजवादी हथकरघा बुनकर पेंशन योजना’ नाम की इस कल्याणकारी योजना में साठ साल उम्र पूरी कर चुके बुनकरों को पांच सौ रुपए मासिक पेंशन दी जाएगी। जो साल में दोबारा छह-छह माह के अंतराल पर सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी। जिले में करीब तीन सौ बुनकरों को लाभ मिलेगा। लाभार्थियों का चयन करते समय पुरस्कार पा चुके व सोसाइटी के सदस्य रहे बुनकरों को वरीयता दी जाएगी।

पेंशन योजना

पेंशन ने दूर की बुजुर्गों की टेंशन

राजनीतिक पेंशन योजना

देश की आजादी और लोकतंत्र की जंग में अहम भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान का भी अखिलेश सरकार में बखूबी ध्यान रखा गया है। सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके आश्रितों की पेंशन राशि 8811 रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये कर दी है। वहीं लोकतंत्र सेनानियों को अब तक 6000 रुपये हर माह मिलते थे। सरकार ने उसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया है।

समाजवादी पेंशन योजना

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में समाजवादी पेंशन योजना लागू की है। इसके तहत सरकार ऐसे गरीबों को हर माह 500 रुपये की आर्थिक मदद कर रही है, जिसके पास आय को कोई उपयुक्त साधन उपलब्ध नहीं है। फिलहाल इस योजना का लाभ प्रदेश के 45 लाख परिवारों को मिल रहा है। इसका लक्ष्य बढ़ाकर 55 लाख परिवार कर दिया गया है। इतना ही योजना में अनुदान राशि हर साल 50 रुपये बढ़ा दी जाती है। इसे साक्षरता अभियान से भी जोड़ दिया गया है।

सेहत का भी ख्याल

केजीएमयू लखनऊ के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च इन एजिंग एंड जेरियाट्रिक मेंटल हेल्थ को बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य की चिंता के लिए नोडल सेंटर के रूप् में मान्यता दी गई है। नर्सिंग और अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ को पढ़ाई के दौरान बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य की चिंता करना सिखाया जाएगा। साथ ही उत्तर प्रदेश में अब बुजुर्गों के लिए समय-समय पर योग शिविर लगाए जाएंगे।
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