बिहार भाजपा ने मिशन 2019-20 को ध्यान में रखते हुए पार्टी की अपेक्षाओं पर खरा उतरने वाले कार्यकर्ताओं को संगठन में तरजीह देने का खाका तैयार कर लिया है। इसे शीघ्र ही अमली जामा पहनाने की कवायद शुरू हो सकती है।
दरअसल, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने संगठन गढऩे में जुटे पदाधिकारियों को दो टूक संदेश दिया है कि हर मोर्चे पर तैनात चेहरे ऊर्जा और अनुभव से लैस होने चाहिए। संगठन में गुटबाजी के बजाए समर्पित चेहरे को तरजीह दी जाए। पार्टी ने इसी उद्देश्य से संगठन फ्रेम से भटके नेताओं की छुट्टी करने और नई पौध को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है।
कई मंडल व जिला अध्यक्षों की छुट्टी तय
पहले चरण में 70 से अधिक मंडल अध्यक्षों और कई जिलाध्यक्षों की छुïट्टी करने की तैयारी है। बिहार में भाजपा के 1076 मंडलों और 45 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों में कई को अल्टीमेटम भी दिया जा चुका है। कुछ मंडलों के अध्यक्षों की तो छुट्टी भी कर दी गई है। सामाजिक समीकरण का अब ऐसा ताना-बाना बुना जा रहा है जिसमें अगड़े-पिछड़े, दलित, महिला, नौजवान सब शामिल होंगे।
मोदी-शाह के रंग में नए युग का सूत्रपात
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि पहली बार पार्टी की टीम उन तमाम घोषित-अघोषित गुटों से मुक्त होकर स्वच्छंदता के साथ सिर्फ मोदी-शाह के रंग में नए युग का सूत्रपात करने जा रही है, जो 2019 और 2020 में नई इबारत लिखने का माद्दा रखने वाली है। भाजपा की इस रणनीति के पीछे 2015 के विधानसभा चुनाव से मिले सबक भी हैं जब पार्टी सामाजिक समीकरण की बिसात में पिछड़ गई थी।
नेता या बेटा का कार्ड भी उछालने की तैयारी
अब भाजपा अगले चुनाव में नेता या बेटा (नित्यानंद बनाम तेजस्वी) का कार्ड उछालने की रणनीति पर काम कर रही है। वर्तमान में नित्यानंद राय की नई टीम गुटों से मुक्ति की ओर है, जहां स्थापित नेताओं को टीम गठन में तरजीह देने की बजाय विशुद्ध रूप से सांगठनिक कुशलता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नया भारत बनाने के इरादे और संघ के प्रति प्रतिबद्धता को तवज्जो दी जा रही है।
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि बुजुर्ग किनारे कर दिए जाएंगे। नई टीम में बुजर्गों की सहभागिता के साथ नौजवानों की प्राथमिकता होगी जो बिहार में पार्टी की अपेक्षाओं को पूरा करने का काम करेगी।
संगठन की मजबूती के लिए दिए टिप्स
पार्टी में बदलाव की मुहिम और सफाई की चर्चा पर भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत करने को लेकर जहां कार्यकर्ताओं को दो टूक टिप्स दिए गए हैं, वहीं कमजोर बिंदुओं पर मीठी झिड़की भी लगाई गई है। अगर फिर भी नहीं सुधरे तो गुटबाजी में उलझे नेताओं से किनारा करने का रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है।