इस बार प्रणाली में कोई खामी न आए, इसके लिए जीएसटीएन ने पोर्टल पर यह व्यवस्था की है कि ई-वे बिल तभी जनरेट होगा जब सड़क, रेल, विमान या पानी के जहाज से माल किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जा रहा हो। एक अधिकारी ने कहा कि राज्य के अंदर होने वाले माल परिवहन के लिए ई-वे बिल जेनरेट किए जाने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दी जाएगी।
रोजाना 75 लाख बिल बन सकेंगे
ई-वे बिल से संबंधित प्रणाली का विकास नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर ने किया है। इस पर रोजाना 75 लाख अंतर्राज्यीय ई-वे बिल बनाए जा सकेंगे। जीएसटी परिषद ने इस माह के शुरू में चरणबद्ध तरीके से ई-वे बिल लागू करने का फैसला किया था, जिसके तहत एक अप्रैल से दो राज्यों के बीच और 15 अप्रैल से राज्य के अंदर के परिवहन पर ई-वे बिल लागू किया जाना है। इस सप्ताह के शुरू तक ई-वे बिल पोर्टल पर 11 लाख इकाइयां पंजीकृत हो चुकी हैं। जबकि जीएसटी के तहत 1.05 करोड़ कारोबारी पंजीकृत हैं और करीब 70 लाख मासिक तौर पर रिटर्न दाखिल करते हैं।
लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर लगेगा कर
एक अप्रैल से कर प्रणाली में कई और बदलाव भी लागू होने जा रहे हैं। इसके तहत शेयरों की बिक्री से लंबी अवधि में होने वाले एक लाख रुपये से अधिक के लाभ पर फिर से 10 फीसदी कर लगेगा। 2018-19 के आम बजट में 14 साल के अंतराल के बाद फिर से शेयरों से होने वाले लंबी अवधि के कैपिटल गेन (एलटीसीजी) पर कर लगाया गया है। अब तक शेयर खरीदने के बाद एक साल के अंदर होने वाले लाभ पर 15 फीसदी कर लगाया जाता था और एक साल के बाद शेयरों की बिक्री पर कोई कर नहीं लग रहा था। सरकार ने जुलाई 2004 में शेयरों पर एलटीसीजी हटा दिया था और इसकी जगह सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन कर लगा दिया था।
कॉरपोरेट कर घटकर होगा 25 फीसदी
पहली अप्रैल से लागू होने वाले एक अन्य अहम बदलाव के तहत जिन कंपनियों का कुल कारोबार 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक था, उनके लिए बजट में कारपोरेट कर की दर घटाकर 25 फीसदी कर दी गई है। इसका लाभ समस्त सूक्ष्म, मझोले और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मिलेगा, जिसकी कर रिटर्न दाखिल करने वाली कंपनियों में करीब 99 फीसदी हिस्सेदारी है। 2015 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वादा किया था कि अगले चार साल में कारपोरेट कर की दर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी तक लाया जाएगा।