बरेली। उम्र के उस दौर में जहां खुद ही अपने बच्चों पर लोग निर्भर हो जाते हैं। 102 साल के एक बुजुर्ग के संघर्ष ने कामयाबी की ऐसी इबारत लिख डाली जिसके सुखद परिणाम नई पीढ़ी देखेगी। भुता क्षेत्र के गांव खजुरिया संपत में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल के लिए तीन दिन से आमरण अनशन कर रहे 102 वर्षीय रामप्रसाद शर्मा और गांव वालों की जिद के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा। डीएम के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने खजुरिया संपत गांव को अंग्रेजी माध्यम स्कूल के लिए शामिल कर लिया। सोमवार दोपहर में बीएसए का लिखित आदेश लेकर एसडीएम फरीदपुर राजेश कुमार, बीडीओ भुता गांव पहुंचे और अनशन तुड़वाया।
तीन दिन से जारी थी सिस्टम से जंग
अपने गांव में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय के लिए बीएसए से लेकर कलक्ट्रेट तक दौड़ लगाने पर भी कोई कामयाबी न मिलने पर रिटायर शिक्षक रामेश्वर दयाल और उनके 102 साल के पिता रामप्रसाद ने सत्याग्रह की राह पकड़ी। शुक्रवार को डीएम से मिले लेकिन कोई ठोस जवाब न मिलने पर शनिवार सुबह से रामप्रसाद अपने बेटों के साथ अनशन के मैदान में डट गए। तीन दिन से तबीयत खराब हुई, हालत बिगड़ी मगर खजुरिया सहित आसपास के 11 गांव के बच्चों के बेहतर कल के लिए अड़े रहे। बुजुर्गों की हालत बिगडऩे पर प्रशासन भी एक्शन में आ गया।
डीएम के निर्देश पर सोमवार सुबह दफ्तर खुलते ही बीएसए ने आनन-फानन खजुरिया संपत गांव को अंग्रेजी माध्यम के लिए चयनित सूची में शामिल करने का पत्र बनवाया। सीधे रामेश्वर दयाल को संबोधित पत्र विशेष एबीएसए भुता को भेजा। इसके बाद एसडीएम व एबीएसए ने जूस पिलाकर अनशन खत्म कराया। रामप्रसाद शर्मा का कहना है कि अनशन किसी पर दबाव बनाने के लिए नहीं, आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता के लिए था। खुशी है सरकार ने बात सुनी।